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उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. सीएम के खिलाफ सीबीआई जांच के उत्तराखंड हाईकोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है. सीएम रावत के खिलाफ पत्रकार उमेश शर्मा ने आरोप लगाया था कि उन्होंने नोटबंदी के दौरान लाखों रुपये की घूस ली है और ये पैसा उन्हें झारखंड से ट्रांसफर किया गया था. इस पूरे मामले को लेकर पत्रकार शर्मा के खिलाफ भी मामला दर्ज था, जिसे नैनीताल हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया था और कहा था कि सीएम के खिलाफ लगे आरोपों की सीबीआई जांच हो.
इस मामले पर हाईकोर्ट के बड़े फैसले के बाद उत्तराखंड के सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.
दरअसल आरोप लगाया गया है कि 2016 में त्रिवेंद्र सिंह रावत झारखंड में बीजेपी के प्रभारी बनाए गए थे, तब उन्होंने एक शख्स को किसी पद पर नियुक्त करने के लिए करीब 25 लाख रुपये की रिश्वत ली थी. ये सभी आरोप देहरादून के पत्रकार उमेश शर्मा ने लगाए थे.
इस मामले के सामने आने के बाद पत्रकार के खिलाफ सबसे पहले पूर्व प्रोफेसर ने धोखाधड़ी और ब्लैकमेलिंग का आरोप लगाया. साथ ही पत्रकार पर सीएम की छवि को खराब करने को लेकर भी मामला दर्ज हुआ. इतना ही नहीं आरोप लगाने वाले पत्रकार के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट से लेकर कई संगीन धाराओं में मामला दर्ज करने की कोशिश भी हुई.
इसके बाद पत्रकार उमेश शर्मा ने हाईकोर्ट में अपील की तो उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी गई. साथ ही उन्हें जांच में पूरा सहयोग करने को कहा गया. लेकिन जब जांच आगे बढ़ी तो पत्रकार के खिलाफ आरोप भी बढ़ते गए. जिसके बाद हाईकोर्ट ने पत्रकार शर्मा के खिलाफ एफआईआर को रद्द करते हुए आदेश दिया कि सीएम पर लगे सभी आरोपों की जांच सीबीआई करे. लेकिन फिलहाल इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है. जो कहीं न कहीं सीएम रावत के लिए राहत की खबर है, लेकिन आगे देखना होगा कि कोर्ट का रुख इस मामले को लेकर क्या रहता है.
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