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साल था 1950, दिन 26 जनवरी, आजाद भारत पहली बार अपना गणतंत्र दिवस मना रहा था. नया नवेला लोकतंत्र, नया-नया आजाद भारत उस दिन भी अपने मेहमानों के लिए बाहें पसारे खड़ा था. भारत के पहले गणतंत्र दिवस के मौके पर दक्षिण पूर्व एशिया के दिग्गज नेता और इंडोनेशिया के पहले राष्ट्रपति सुकर्णो भारत के मुख्य अतिथि थे.
अब आप सोच रहे होंगे कि अचानक हम मेहमाननवाजी की और इतिहास की बात क्यों कर रहें हैं. तो बता दूं कि 68 साल बाद एक बार फिर इतिहास खुद को दोहराने जा रहा है. आजादी के 68 साल बाद भारत ने एक बार फिर गणतंत्र दिवस पर मुख्य अथिति के लिए इंडोनेशिया के राष्ट्रपति को आमंत्रित किया है. इस बार गणतंत्र दिवस के मौके पर इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विदोदो मुख्य अतिथि होंगे.
ऐसे तो अक्सर किसी भी देश के एक या दो राष्ट्राध्यक्षों को ही गणतंत्र दिवस के मौके पर आमंत्रित किया जाता है, लेकिन ये पहला मौका है जब एक या दो नहीं बल्कि 10 राष्ट्राध्यक्षों को इस ऐतिहासिक दिन के लिए आमंत्रित किया गया है.
इस आमंत्रण को पीएम मोदी के एक्ट ईस्ट पॉलिसी से भी जोड़कर देखा जा रहा है. अभी हाल ही में राष्ट्रीय कैडेट कॉर्प्स (एनसीसी) के एक कैंप में रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस परेड के अवसर पर दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों के संगठन (आसियान) के नेताओं की मौजूदगी से नरेंद्र मोदी सरकार की 'एक्ट ईस्ट' नीति परिलक्षित होगी. उन्होंने कहा, "यह प्रधानमंत्री की इच्छा है कि 'लुक ईस्ट' नीति अब 'एक्ट ईस्ट' नीति होना चाहिए."
इस बार गणतंत्र दिवस की परेड में
25 जनवरी को भारत-आसियान संबंधों के 25 साल पूरे होने के मौके पर सभी 10 आसियान देशों के नेता भारत आए हुए हैं. प्रधानमंत्री मोदी ने गुरुवार को थाइलैंड, सिंगापुर और ब्रुनेई के नेताओं के साथ भी द्विपीक्षीय बातचीत के लिए मुलाकात की. इसके बाद शुक्रवार को इंडोनेशिया, लाओस और मलेशिया के नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठक करेंगे.
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