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अंधेरा था. एक कार क्रैश हुई थी, कार में आग लगी थी. क्रैश के बाद जिस लेन में कार जाकर गिरी उधर से एक बस जा रही थी. जिसके ड्राइवर ने इस क्रैश कार से अपनी बस को किसी तरह बचाया था. यानी इस कार के कारण बस ड्राइवर और कंडक्टर की जान को खतरा पैदा हुआ था.
लेकिन बस ड्राइवर और कंडक्टर ने कार में बैठे शख्स की मदद करने की ठानी. उन्हें नहीं पता था कि कार में कौन बैठा है. हादसे में घायल शख्स ने अपना नाम ऋषभ पंत (Rishabh Pant) बताया तो ड्राइवर ने पूछा-कौन ऋषभ पंत?
हरियाणा रोडवेज बस के ड्राइवर सुशील कुमार ने क्विंट हिंदी को बताया-''उसने बताया कि उसका नाम ऋषभ पंत है. अब भाईसाब मैं क्रिकेट देखता नहीं तो मुझे उतना अंदाजा भी नहीं था. लेकिन हमने एंबुलेंस को फोन किया, पुलिस को फोन किया और NHAI को भी फोन किया. करीब 20-25 मिनट बाद एंबुलेंस आई, तब हमने उसको सहारा देकर एंबुलेंस में बिठाया और कहा कि, भाई इनको अच्छे अस्पताल में भर्ती करवाना.''
बस कंडक्टर परमजीत ने क्विंट हिंदी से बातचीत में बताया -ऋषभ पंत ने होश में आने के बाद सबसे पहले अपनी मां को फोन करने के लिए कहा था. उन्होंने नंबर दिया, लेकिन वो फोन बंद आ रहा था, तो उन्होंने कहा कि मां सो रही होंगी. तब तक हमने उनको एक सवारी से लेकर चादर दी ओढ़ने के लिए, क्योंकि उनके शरीर पर कोई भी कपड़ा नहीं था, सारे कपड़े फट गए थे और ठंड बहुत हो गई थी.
परमजीत ने ये भी बताया कि कई जगह पर खबरें चल रही थीं कि ऋषभ पंत का सामान भी चोरी हुआ है, लेकिन ऐसा कुछ नहीं है-''एक सूटकेस और कुछ पैसे वहां बिखरे मिले थे. जो हमने समेटकर ऋषभ पंत के हाथ में एंबुलेंस में बैठते वक्त रख दिये थे. उस वक्त पूरी तरह से अंधेरा था तो कुछ ज्यादा दिख भी नहीं रहा था.''
जरा सोचिए कि अगर सुशील और परमजीत ने पंत की मदद न की होती, खून और बह गया होता. दिसंबर के महीने में हरिद्वार के आसपास ठंड हाड कंपा देती है. अगर पंत को वक्त पर चादर न मिलती. एंबुलेंस वक्त पर न आती तो क्या होता? सुशील-परमजीत नहीं जानते थे कि वो क्रिकेट की दुनिया के स्टार की मदद कर रहे हैं. ये नि:स्वार्थ मदद थी.
वो नहीं जानते थे कि इस एक शख्स की मदद करके वो करोड़ों क्रिकेट प्रेमियों का दिल टूटने से बचा रहे हैं. उनके लिए वो सिर्फ एक राहगीर था, एक जख्मी, एक जरूरतमंद, अपने देश का ही एक नागरिक. लेकिन इतना जानना उनके लिए काफी था.
ये हादसा और सुशील-परमजीत की इंसानियत हम सबको समझा रही है कि सड़क पर कोई जख्मी दिखे तो जरूर मदद कीजिए. पता नहीं वो कौन हो. किसी का भाई, किसी की बहन, किसी का बेटा, किसी की बेटी...कोई फौजी, कोई डॉक्टर, कोई किसान, कोई इंजीनियर या फिर सदस्य अपने ही परिवार का, 135 करोड़ सदस्यों वाले भारतीय परिवार का. नाम और चेहरा देखकर नहीं, सबकी मदद कीजिए...इस परिवार का हर सदस्य स्टार है. उसके परिवार से पूछिए, उसके लिए तो है. और इस परिवार का हर सदस्य
सुपरस्टार बन सकता है अगर वो सुशील और परमजीत बन जाए.
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