Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019India Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019 जेएनयू ने रोमिला थापर से मांगा CV,ट्विटर पर फूटा लोगों का गुस्सा 

जेएनयू ने रोमिला थापर से मांगा CV,ट्विटर पर फूटा लोगों का गुस्सा 

मशहूर इतिहासकार रोमिला थापर से जेएनयू प्रशासन की ओर से सीवी मांगने के मामले ने तूल पकड़ लिया है

क्विंट हिंदी
भारत
Published:
जेएनयू ने मशहूर इतिहासकार प्रोफेसर रोमिला थापर से CV मांगा
i
जेएनयू ने मशहूर इतिहासकार प्रोफेसर रोमिला थापर से CV मांगा
(फोटो : PTI )

advertisement

जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी ने एमिरेटस प्रोफेसर के तौर पर बरकरार रखने के लिए रोमिला थापर से उनका सीवी मांग लिया. इस मामले पर जब बवाल मचा तो प्रोफेसर थापर ने कहा कि प्रोफेसर एमिरेटस के लिए सीवी के दोबारा मूल्यांकन की कोई जरूरत ही नहीं है. सीवी मांगने का मकसद किसी से छिपा नहीं है.

अंग्रेजी अखबार टेलीग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक जेएनयू के रजिस्ट्रार प्रमोद कुमार ने पिछले महीने थापर को उनका सीवी सबमिट करने के लिए कहा ताकि यूनिवर्सिटी की ओर से गठित कमेटी इसका और उनके काम का मूल्यांकन कर सके. इसके आधार पर कमेटी ने यह तय करेगी उन्हें यूनिवर्सिटी में आगे पढ़ाना है या नहीं.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

थापर को मिली चिट्ठी से यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अचंभे में

थापर को मिली इस चिट्ठी की खबर के बाद यूनिवर्सिटी के तीन सीनियर फैकल्टी मेंबर ने इस पर आश्चर्य जताया क्योंकि जेएनयू में एमिरेटस प्रोफेसर के लिए दोबारा सीवी जमा करने की परंपरा नहीं है. ‘द क्विंट’ ने इस बारे में जब थापर से बात की तो उन्होंने कहा कि ये यूनिवर्सिटी की जिम्मेदारी है कि अब तक जीवित सभी फैकल्टी के बारे में अपडेट जानकारी के साथ वेबसाइट मेंटेन करे. मुझे लगता है कि इस वेबसाइट पर मेरे बारे में सारी जानकारी है. जेएनयू की ऑफिशियल वेबसाइट पर प्रोफेसर थापर का रेज्यूमे मौजूद है. इस मामले पर प्रोफेसर थापर ने कहा

एमिरेटस प्रोफेसर के अकादमिक कामों के मूल्यांकन की इच्छा जताने की मतलब यह है कि यूनिवर्सिटी प्रशासन को एमिरेटस प्रोफेसर कैटेगरी की कोई समझ नहीं है. यह एक ऐसा दर्जा है जो यूनिवर्सिटी अपने रिटायर्ड प्रोफेसर को देती है. यह उस शख्स की जिंदगी भर अकादमिक उपलब्धियों का सम्मान है. यह उनकी मौजूदा उपलब्धियों को स्वीकार करना है. इसका भविष्य के काम से कोई संबंध नहीं है.

उन्होंने कहा, एमिरेटस प्रोफेसर का दर्जा का जीवन भर के लिए होता है. पहली बार एमिरेटस प्रोफेसर बनने पर यूनिवर्सिटी से जो पत्र मिले थे उनमें इसका जिक्र है. चूंकि यह दर्जा मानद है, इसलिए न तो प्रोफेसर और न यूनिवर्सिटी के लिए इस संबंध में कोई बाध्यता है.

थापर ने कहा,मकसद भांपना मुश्किल नहीं

प्रोफेसर थापर ने यूनिवर्सिटी की इस कदम पर कहा कि जेएनयू में उन्हें जो दर्जा हासिल है, उसके मुताबिक यूनिवर्सिटी की ओर से उनके काम और सीवी के पुनर्मूल्यांकन का सवाल ही पैदा नहीं होता. उन्होंने कहा कि पुनर्मूल्यांकन का प्रस्ताव पास करके उसे मेरे और शायद कुछ दूसरे लोगों पर लागू करने के पीछे कोई खास मकसद है और यह भांपना मुश्किल नहीं है ऐसा क्यों किया गया है. बहरहाल, रोमिला थापर के साथ जेएनयू के इस सलूक की ट्विटर पर काफी आलोचना हो रही है.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT