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कश्मीर में भारतीय एक्शन नामंजूर- US राष्ट्रपति पद के दावेदार बर्नी

सैंडर्स ने अमेरिकी सरकार से अपील की है कि वो UN समर्थित पीसफुल रिजॉल्यूशन के पक्ष में खुलकर बोले.

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अमेरिकी सीनेटर और राष्ट्रपति पद के लिए दावेदार बर्नी सैंडर्स ने कश्मीर की मौजूदा स्थिति पर चिंता जताई है. इसके साथ ही 77 वर्षीय सैंडर्स ने कहा, ''(कश्मीर में) भारत की कार्रवाई अस्वीकार्य है और वहां से कम्युनिकेशन पर लगी पाबंदी तुरंत हटनी चाहिए.'' उन्होंने अमेरिकी सरकार से अपील की है कि वो संयुक्त राष्ट्र समर्थित पीसफुल रिजॉल्यूशन के पक्ष में खुलकर बोले.

शनिवार को ह्यूस्टन में उत्तरी अमेरिका की इस्लामिक सोसाइटी के सालाना सम्मेलन में अपने संबोधन के दौरान सैंडर्स ने कहा-

मैं कश्मीर की स्थिति को लेकर काफी चिंतित हूं, जहां भारत सरकार ने कश्मीरी स्वायत्तता हटा दी है और असहमति को दबा दिया है.
बर्नी सैंडर्स 

इसके अलावा उन्होंने कहा, ''कई डॉक्टरों ने माना है कि कश्मीर में भारत सरकार की ओर लगाए गए प्रतिबंधों की वजह से मरीजों को जीवनरक्षक इलाज तक मिलने में बाधा आ रही है.''

बता दें कि भारत सरकार ने 5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले आर्टिकल 370 को बेअसर करने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने का ऐलान किया था. इस ऐलान से ठीक पहले ही जम्मू-कश्मीर में कई तरह की पाबंदियां लगा दी गई थीं.

इस मामले पर भारत ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से कहा है कि यह उसका आंतरिक मामला है. पिछले दिनों संयुक्त राष्ट्र में भारत के राजदूत और स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने कहा था-

‘’भारत सरकार ने हाल ही में जो फैसले लिए हैं, वो जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बेहतर शासन व्यवस्था को सुनिश्चित करने और वहां के लोगों के सामाजिक-आर्थिक विकास को सुनिश्चित करने के लिए हैं.’’
सैयद अकबरुद्दीन, संयुक्त राष्ट्र में भारत के राजदूत और स्थायी प्रतिनिधि

पिछले हफ्ते जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा था कि इंटरनेट और फोन सेवाओं पर इसलिए पाबंदी लगाई गई है क्योंकि ये सेवाएं भीड़ जमा करने और युवाओं को भड़काने में आतंकियों और पाकिस्तान के लिए उपयोगी साबित हो सकती थीं.

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