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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी RSS के प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने विजयादशमी के मौके पर नागपुर के रेशमीबाग में संघ कार्यकर्ताओं को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने जनसंख्या नियंत्रण, हिंदू राष्ट्र, विभाजन, उदयपुर घटना, नयी शिक्षा नीति पर अपनी बात रखी.
मोहन भागवत ने कहा कि RSS का प्रभाव बढ़ रहा है. उन्होंने कहा, "अज्ञान, असत्य, द्वेष, भय, अथवा स्वार्थ के कारण संघ के विरुद्ध जो अपप्रचार चलता है उसका प्रभाव कम हो रहा है. क्योंकि संघ की व्याप्ति व समाज संपर्क में-यानी संघ की शक्ति में लक्षणीय वृद्धि हुई है."
वहीं ये पहला मौका है जब RSS ने किसी महिला को अपने विजयदशमी कार्यक्रम में मुख्य अतिथि बनाया है. RSS ने एवरेस्ट विजेता पद्मश्री संतोष यादव विजयादशमी समारोह का मुख्य अतिथि के तौर पर बुलाया था.
मोहन भागवत ने एक महिला को मुख्य अतिथि बनाए जाने को लेकर कहा,
इसी दौरान मोहन भागवत ने जनसंख्या नियंत्रण पर भी अपनी बात रखी. मोहन भागवत ने कहा, "जनसंख्या नीति सारी बातों का समग्र व एकात्म विचार करके बने, सभी पर समान रूप से लागू हो, लोकप्रबोधन द्वारा इसके पूर्ण पालन की मानसिकता बनानी होगी. तभी जनसंख्या नियंत्रण के नियम परिणाम ला सकेंगे."
उन्होंने आगे कहा,
मोहन भागवत ने जनसंख्या पर दूसरे देशों का उदाहरण देते हुए कहा, "एक भूभाग में जनसंख्या में संतुलन बिगड़ने का परिणाम है कि इंडोनेशिया से ईस्ट तिमोर, सुडान से दक्षिण सुडान व सर्बिया से कोसोवा नाम से नये देश बन गये."
संघ प्रमुख मोहन भागवत ने हिंदू राष्ट्र की बहस पर कहा कि हिन्दू और हिंदुस्तान पर भी चर्चा की. उन्होंने कहा, "दुनिया में सुने जाने के लिए सत्य को भी शक्तिशाली होना पड़ता है, यह जीवन का विचित्र वास्तव है. दुनिया में दुष्ट शक्तियां भी हैं, उनसे बचने के लिए व अन्यों को बचाने के लिए भी सज्जनों की संगठित शक्ति चाहिए. संघ उपरोक्त राष्ट्र विचार का प्रचार-प्रसार करते हुए सम्पूर्ण समाज को संगठित शक्ति के रूप में खड़ा करने का काम कर रहा है. यही हिन्दू समाज के संगठन का काम है, क्योंकि उपरोक्त राष्ट्र विचार को हिन्दू राष्ट्र का विचार कहते हैं और वह है भी. इसलिए संघ उपरोक्त राष्ट्र विचार को मानने वाले सबका यानी हिन्दू समाज का संगठन, हिन्दू धर्म, संस्कृति व समाज का संरक्षण कर हिन्दू राष्ट्र की सर्वांगीण उन्नति के लिए, “सर्वेषां अविरोधेन” काम करता है."
मोहन भागवत आगे कहते हैं,
वहीं बिना मुसलमानों का नाम लिए उन्होंने तथाकथित अल्पसंख्यक शब्द का जिक्र किया, भागवत ने कहा, "तथाकथित अल्पसंख्यकों में बिना कारण एक भय का हौवा खड़ा किया जाता है कि हम से अथवा संगठित हिन्दू से खतरा है. ऐसा न कभी हुआ है, न होगा. न यह हिन्दू का, न ही संघ का स्वभाव या इतिहास रहा."
हालांकि अपने भाषण में अगले ही पल भागवत ने आत्मरक्षा की बात कही. उन्होंने कहा,
अभी हाल ही में मुस्लिम समाज के कुछ बुद्धीजीवी मोहन भागवत से मिले थे. उनका भी जिक्र करते हुए भागवत बोले, "तथाकथित अल्पसंख्यकों के कुछ सज्जन हमसे मिल रहे हैं, संघ के पदाधिकारियों के साथ विचार-विमर्श कर रहे हैं और यह जारी रहेगा. यह नया नहीं है. इसकी शुरुआत श्री गुरुजी के समय में ही हुई थी."
बता दें कि राजस्थान के उदयपुर में 28 जून को कन्हैयालाल तेली नाम के दर्जी की दो लोगों ने दिनदहाड़े हत्या कर दी थी. दरअसल, दर्जी ने सोशल मीडिया पर बीजेपी से सस्पेंड प्रवक्ता नूपुर शर्मा की पैगंबर मोहम्मद को लेकर की गई विवादास्पद टिप्पणी का समर्थन किया था.
मोहन भागवत ने उदयपुर की घटना का जिक्र करते हुए कहा, "अभी पिछले दिनों उदयपुर में एक अत्यंत ही जघन्य एवं दिल दहला देने वाली घटना घटी. सारा समाज स्तब्ध रह गया. अधिकांश समाज दु:खी एवं आक्रोशित था. ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो यह सुनिश्चित करना होगा. ऐसी घटनाओं के मूल में पूरा समाज नहीं होता. उदयपुर घटना के बाद मुस्लिम समाज में से भी कुछ प्रमुख व्यक्तियों ने अपना निषेध प्रगट किया. यह निषेध अपवाद बन कर ना रह जाए, अपितु अधिकांश मुस्लिम समाज का यह स्वभाव बनना चाहिए. हिन्दू समाज का एक बड़ा वर्ग ऐसी घटना घटने पर हिन्दू पर आरोप लगे तो भी मुखरता से विरोध और निषेध प्रगट करता है."
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