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'जवाहर लाल नेहरू, सरदार वल्लभभाई पटेल को अपनी कैबिनेट में चाहते थे या नहीं...' इस बात को लेकर विदेश मंत्री एस जयशंकर और इतिहासकार रामचंद्र गुहा की ट्विटर पर बहस हो गई. जयशंकर ने नारायणी बसु की किताब 'वीपी मेनन: द अनसंग आर्किटेक्ट ऑफ मॉडर्न इंडिया' के लॉन्च की फोटो ट्विटर पर शेयर की. उन्होंने उसी ट्वीट के जवाब में लिखा, 'किताब से जाना कि 1947 में नेहरू, पटेल को अपनी कैबिनेट में नहीं चाहते थे और उन्हें शुरुआती कैबिनेट लिस्ट से हटा दिया. ये वाद-विवाद का सबजेक्ट है. उल्लेखनीय है कि लेखक अपनी बात पर कायम हैं.'
विदेश मंत्री के इस ट्वीट को इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने मिथ बताया और उनपर फेक न्यूज फैलाने का भी आरोप लगाया. उन्होंने लिखा, 'ये सिर्फ मिथ है, जिसे द प्रिंट में प्रोफेसर श्रीनाथ राघवन ने बड़े पैमाने पर साफ किया गया है. इसके अलावा, फर्जी खबरों को बढ़ावा देना, मॉडर्न इंडिया के बिल्डरों का काम विदेश मंत्री का नहीं है. उन्हें ये काम बीजेपी आईटी सेल के लिए छोड़ देना चाहिए.'
विदेश मंत्री और इतिहासकार का विवाद यहीं नहीं रुका. जयशंकर ने जवाब देते हुए लिखा, 'कुछ विदेश मंत्री किताबें भी पढ़ते हैं. शायद कुछ प्रोफेसर्स के लिए भी ये अच्छी आदत हो. ऐसे में, कल रिलीज की गई किताब रिकमेंड करूंगा.'
इसके बाद, रामचंद्र गुहा ने एक लेटर की फोटो शेयर की, जिसमें नेहरू ने पटेल को कैबिनेट में शामिल होने का न्योता दिया था.
रामचंद्र गुहा ने जयशंकर से सवाल भी किया है. एक दूसरे ट्वीट में उन्होंने लिखा, 'सर, क्योंकि आपने जेएनयू से पीएचडी की है, आपने जरूर मुझसे ज्यादा किताबें पढ़ी होंगी. उनमें से नेहरू और पटेल के पब्लिश्ड करसपॉन्डेंस रहे होंगे, जिसमें ये भी होगा कि नेहरू किस तरह से पटेल को अपने पहले मंत्रिमंडल का 'सबसे मजबूत स्तंभ' बनाना चाहते थे. फिर से उन किताबों से सलाह जरूर लें.'
रामचंद्र गुहा के इस सवाल पर अब तक विदेश मंत्री का जवाब नहीं आया है.
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने भी विदेश मंत्री के दावे पर पलटवार किया है. उन्होंने ट्विटर पर कुछ डॉक्यूमेंट शेयर करते हुए लिखा, ‘विदेश मंत्री के साथ समस्या ये है कि वो उन किताबों को भूलना चाह रहे हैं जो उन्होंने जनवरी 2015 में विदेश सचिव बनने से पहले पढ़ीं.’
देश के पहले गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल को लेकर बीजेपी, कांग्रेस पर हमलावर रही है. पीएम मोदी और बीजेपी के कई नेता कई मौकों पर ये कह चुके हैं कि अगर वल्लभभाई पटेल प्रधानमंत्री होते, तो देश के हालात बेहतर होते.
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