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विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बुधवार (27 दिसंबर) को क्रेमलिन में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की और यूक्रेन में युद्ध सहित कई मुद्दों पर बातचीत की. इस दौरान पुतिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अगले साल रूस आने का निमंत्रण दिया.
पुतिन ने जयशंकर से कहा, "हमें अपने मित्र प्रधानमंत्री मोदी को रूस में देखकर खुशी होगी." विदेश मंत्री जयशंकर पांच दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर रूस पहुंचे हैं.
रूसी राष्ट्रपति ने कहा कि वह जानते हैं कि पीएम मोदी यूक्रेन संकट को शांतिपूर्वक हल करने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करने को तैयार हैं. पुतिन ने कहा कि रूस भारत के साथ यह जानकारी साझा करने को इच्छुक है कि यूक्रेन संकट को शांतिपूर्ण तरीके से कैसे हल किया जा सकता है?
बैठक के दौरान विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने कहा, "प्रधानमंत्री मोदी अगले साल रूस की यात्रा के लिए उत्सुक हैं. मुझे यकीन है कि हम एक ऐसी तारीख ढूंढ लेंगे, जो दोनों देशों के राजनीतिक कैलेंडर के लिए पारस्परिक रूप से सुविधाजनक हो, तो यह निश्चित रूप से कुछ ऐसा है, जिसका वह इंतजार कर रहे हैं. मैं चाहता हूं कि आप व्यापार में हमने जो प्रगति की है, उस पर प्रकाश डालें, जिसका कारोबार 50 अरब डॉलर से अधिक है."
बैठक के बाद लावरोव के साथ एक ज्वाइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान, जयशंकर ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि पीएम मोदी और पुतिन अगले साल वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए मिलेंगे. जयशंकर ने कहा कि दोनों नेता लगातार संपर्क में रहे हैं.
पीएम मोदी और पुतिन के बीच शिखर सम्मेलन दोनों पक्षों के बीच रणनीतिक साझेदारी में सर्वोच्च संस्थागत संवाद तंत्र है. NDTV के अनुसार, अब तक भारत और रूस में बारी-बारी से 21 वार्षिक शिखर सम्मेलन हो चुके हैं. पिछला शिखर सम्मेलन दिसंबर 2021 में दिल्ली में हुआ था.
पुतिन ने कहा कि रूस और भारत के बीच व्यापार कारोबार बढ़ रहा है, खासकर कच्चे तेल और उच्च प्रौद्योगिकी क्षेत्रों के कारण.
इससे पहले मंगलवार (26 दिसंबर) को, जयशंकर ने द्विपक्षीय आर्थिक सहयोग पर रूस के उप प्रधानमंत्री डेनिस मंटुरोव के साथ एक "व्यापक और सार्थक" बैठक की, जिसके दौरान उन्होंने तमिलनाडु में कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र की भविष्य की बिजली उत्पादन इकाइयों के निर्माण से संबंधित कुछ "बहुत महत्वपूर्ण" समझौतों पर हस्ताक्षर किए.
यूक्रेन पर मास्को के आक्रमण के बावजूद भारत और रूस के बीच संबंध मजबूत बने रहे. भारत ने अभी तक यूक्रेन पर रूसी आक्रमण की निंदा नहीं की है और वह कहता रहा है कि संकट को कूटनीति और बातचीत के माध्यम से हल किया जाना चाहिए.
कई पश्चिमी देशों में इसे लेकर बढ़ती बेचैनी के बावजूद भारत का रूसी कच्चे तेल का आयात काफी बढ़ गया है.
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