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केरल के प्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर के कपाट आज शाम 5 बजे सभी उम्र की महिलाओं के लिए खुल गए हैं. भक्त आज रात 10.30 बजे तक दर्शन कर सकेंगे. वहीं मंदिर के आसपास चार एरिया (नीलक्कल, पंपा, सनिधनम और इलावुमकल) में धारा 144 लगा दी गई है.
कपाट खुलने से पहले ही मंदिर के बाहर भारी तनाव और हिंसा का तांडव हुआ. पत्रकारों को दौड़ा दौड़ाकर पीटा गया. भगवान अयप्पा के दर्शन करने जा रही महिलाओं को बस से उतार दिया गया. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर विरोध-प्रदर्शन अब भी जारी है.
केरल के उद्योग मंत्री ईपी जयराजन ने आरएसएस को हिंसा का जिम्मेदार बताते हुए कहा, “आरएसएस के अपराधी ने जंगल में छुपि थे और उन्होंने अयप्पा भक्तों पर हमला किया. 10 पत्रकार, 5 भक्तों और 15 पुलिसवालों पर हमला किया गया.”
मंत्री ने कहा, “10 KSRTC बसों को नुकसान पहुंचान गया. दूसरे राज्यों से आए भक्तों को पीटा गया और उन्हें वापस भेद दिया गया. सुप्रीम कोर्ट का आदेश सभी पर समान रूप से लागू होता है. सरकार सिर्फ सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन कर रही है.” मंंत्री ने ये भी बताया कि पत्रकारों पर हमला करने वालो के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया जा रहा है.
पुलिसवालों ने सबरीमाला मंदिर के रास्ते में पंपा में प्रदर्शनकारियों की पार्क गाड़ियों में तोड़ फोड़ की. देखिए वीडियो-
एक्टिविस्ट तृप्ति देसाई ने कहा कि वो जल्द ही सबरीमाला मंदिर जा सकती हैं. साथ ही देसाई ने सबरीमाला जाने वाली महिलाओं से आग्रह किया है कि वो शांति पूर्वक विरोध प्रदर्शन करें, किसी भी तरह की हिंसा का मार्ग न अपनाए.
बुधवार तड़के जब प्रदर्शनकारियों ने मंदिर तक जाने के मुख्य रास्ते पर बसों को रोकने का प्रयास किया तो पुलिस को उनके खिलाफ बल प्रयोग करना पड़ा. पुलिस की कार्रवाई शुरू होते ही वहां मौजूद प्रदर्शनकारी भाग निकले. मासिक पूजा के लिए मंदिर खुलने से कुछ घंटे पहले पुलिस ने कहा कि वह किसी को भी लोगों के आने-जाने में अवरोध पैदा नहीं करने देगी.
निलक्कल का पूर्ण नियंत्रण अपने हाथों में लेते हुए पुलिस ने अयप्पा मंदिर जाने वाले श्रद्धालुओं के रास्ते में अवरोध पैदा करने वालों को चेतावनी दी. प्रदर्शनकारियों में कुछ ने पम्बा जाने वाले वाहनों को जांचा और उनमें सवार 10 से 50 साल की आयु वर्ग की महिलाओं को मंदिर जाने से रोक दिया, इस पर पुलिस ने कड़ी कार्रवाई की.
सबरीमाला आचार संरक्षण समिति के कार्यकर्ताओं ने सोमवार की रात तमिलनाडु से पम्बा जा रहे 45 और 40 वर्ष आयु के दंपति को केएसआरटीसी के बस से कथित रूप से उतरने को बाध्य कर दिया था. हालांकि, दंपति का कहना है कि वह सिर्फ पम्बा तक जाएंगे और सबरीमाला पहाड़ी पर नहीं चढ़ेंगे. बाद में पुलिस उन्हें सुरक्षित ले गई.
निलक्कल में मौजूद सबरीमाला आचार संरक्षण समिति के कुछ कार्यकर्ताओं ने मीडियाकर्मियों को भी कथित रूप से उनका काम करने से रोका था. हालांकि, अतिरिक्त पुलिस बल की तैनाती के बाद सभी मीडियाकर्मी निलक्कल लौट आए हैं.
भगवान अयप्पा स्वामी मंदिर जाने के मुख्य रास्ते निलक्कल पर महिला पुलिसकर्मियों सहित करीब 500 पुलिसकर्मी तैनात हैं. इस बीच पम्बा में श्रद्धालुओं के एक अन्य समूह ने गांधीवादी तरीके से अपना विरोध जताया.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अयप्पा स्वामी मंदिर के दरवाजे पहली बार बुधवार की शाम खुलने वाले हैं. पांच दिन की मासिक पूजा के बाद यह 22 अक्टूबर को फिर बंद हो जाएंगे.
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