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सम्मेद शिखर आंदोलन: अन्न-जल त्यागने वाले एक और जैन मुनि समर्थ सागर का निधन हुआ

Sammed Shikhar protest: पिछले दिनों अनशन पर बैठे दिगंबर जैन मुनि सुज्ञेय सागर ने अपना प्राण त्याग दिया था.

क्विंट हिंदी
भारत
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<div class="paragraphs"><p>सम्मेद शिखर आंदोलन: अन्न-जल त्यागने वाले एक और जैन मुनि का हुआ निधन</p></div>
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सम्मेद शिखर आंदोलन: अन्न-जल त्यागने वाले एक और जैन मुनि का हुआ निधन

(फोटो- क्विंट हिंदी)

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झारखंड (Jharkhand) के सम्मेद शिखर (Sammed Shikhar) को बचाने के लिए अनशन पर बैठे एक और मुनि ने अपना प्राण त्याग दिया है. जयपुर के सांगानेर में स्थित संघी जी जैन मंदिर में 3 जनवरी से आमरण अनशन पर बैठे मुनि समर्थ सागर का गुरुवार, 5 जनवरी की रात को निधन हो गया. सम्मेद शिखर को लेकर केंद्र सरकार ने भले ही जैन समाज की मांग मान ली हो लेकिन अपने इस तीर्थ स्थल को बचाने के लिए ऋषि-मुनि अनशन पर बैठे हैं.

कुछ ही दिन में दूसरा प्राण त्याग

पिछले दिनों अनशन पर बैठे उदयपुर जिले के दिगंबर जैन मुनि सुज्ञेय सागर ने अपना प्राण त्याग दिया था. मुनि सुज्ञेय सागर महाराज के निधन के बाद मुनि समर्थ सागर अन्न-जल का त्याग कर आमरण अनशन पर बैठ गए थे. शुक्रवार को सुबह 8.30 बजे संघी जी जैन मंदिर से मुनिश्री की डोल यात्रा निकाली गई, जिसमें बड़ी संख्या में जैन श्रद्धालुगण शामिल हुए और आचार्य सुनील सागर महाराज ससंघ सानिध्य में जैन परंपराओं के अनुसार उनके देह को पंचतत्व में विलीन किया गया.

बता दें कि मुनि सुज्ञेय सागर के निधन के सिर्फ नौ दिनों बाद ही मुनि समर्थ के प्राण त्यागने की खबर आई है.

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क्या है सम्मेद शिखर विवाद?

झारखंड के गिरिडीह जिले में राज्य की सबसे ऊंची चोटी पर स्थित सम्मेद शिखरजी को पर्यटन स्थल बनाए जाने को लेकर झारखंड से लेकर दिल्ली और जयपुर में भी प्रदर्शन हो रहा है. मान्यता है कि जैन धर्म के 24 में से 20 तीर्थांकरों ने यहीं निर्वाण लिया था इसलिए ये जैन समाज के सबसे पवित्र स्थल में से है. जैन धर्म को मानने वाले लोग हर साल सम्मेद शिखरजी की यात्रा करते हैं.

दरअसल अगस्त 2019 में केंद्रीय वन और पर्यावरण मंत्रालय ने सम्मेद शिखर और पारसनाथ पहाड़ी को इको सेंसेटिव जोन बनाने का ऐलान किया था. इसके बाद राज्य सरकार ने इसे पर्यटन स्थल घोषित किया. इसी बात पर जैन समाज को आपत्ति है और उन्होंने इसे तीर्थ स्थल ही रहने देने के की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन शुरू किया.

जैन समाज की क्या मांग है?

जैन समाज का कहना है कि ये पवित्र धर्मस्थल है और पर्यटकों के आने से ये पवित्र नहीं रह जाएगा. इसे पर्यटन स्थल में तब्दील किए जाने के बाद यहां असामाजिक तत्व भी आएंगे और शराब, मांस का सेवन भी किया जा सकता है.

जैन समाज के लोग मांग कर रहे हैं कि इस जगह को इको टूरिज्म नहीं बनाया जाना चाहिए, इसे पवित्र स्थल ही रहने दिया जाए.

(इनपुट- पंकज सोनी)

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