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कृषि कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करते हुए किसानों को 2 मार्च को 96वें दिन पूरे हुए. इस दौरान सिंघु बॉर्डर पर संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने एक बैठक आयोजित की. इस बैठक में आंदोलन के 100 दिन पूरे होने की किसान संगठनों ने आगामी दिनों की रणनीति सबके सामने रखी. SKM ने बताया कि चुनावी राज्यों में बीजेपी को 'किसान और गरीब विरोधी नीतियों के लिए सजा देने' की अपील की जाएगी.
संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि इसके लिए उसके प्रतिनिधि चुनावी राज्यों में जाएंगे और विभिन्न कार्यक्रमों में हिस्सा लेंगे. कुछ ही समय में असम, पश्चिम बंगाल, केरल, पुडुचेरी और तमिलनाडु में चुनाव होने वाले हैं.
किसान नेता बलवीर सिंह राजेवाल ने बताया, "आगामी 6 मार्च को, दिल्ली की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन के 100 दिन हो जाएंगे. उस दिन दिल्ली और दिल्ली के बॉर्डर के विभिन्न विरोध स्थलों को जोड़ने वाले केएमपी एक्सप्रेसवे पर 5 घंटे की नाकाबंदी होगी."
साथ ही SKM ने बाकी देश में आंदोलन के समर्थन और सरकार के विरोध में घरों और कार्यालयों पर काले झंडे लहराने की बात कही, वहीं प्रदर्शनकारियों से उस दिन काली पट्टी बांधने के लिए भी आह्वान किया गया है.
8 मार्च को संयुक्त किसान मोर्चा महिला किसान दिवस के रूप में मनाएगा. मोर्चा के मुताबिक, केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के आह्वान पर आगामी 15 मार्च को 'निजीकरण विरोधी दिवस' का समर्थन करते हुए सयुंक्त किसान मोर्चा द्वारा विरोध प्रदर्शन किए जाएंगे.
किसान संगठनों के नेताओं ने बताया कि, "SKM पूरे भारत में एक 'एमएसपी दिलाओ अभियान' शुरू करेगा. अभियान के तहत, विभिन्न बाजारों में किसानों की फसलों की कीमत की वास्तविकता को दिखाया जाएगा, जो सरकार के एमएसपी पर दावों और वादों को उजागर करेगा. यह अभियान दक्षिण भारतीय राज्यों कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में शुरू किया जाएगा. पूरे देश के किसान भी इस अभियान में शामिल किए जाएंगे."
दरअसल तीन नए अधिनियमित खेत कानूनों के खिलाफ किसान पिछले साल 26 नवंबर से राष्ट्रीय राजधानी की विभिन्न सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.
किसान उत्पाद व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अधिनियम 2020, मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा अधिनियम 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम 2020 पर किसान सशक्तिकरण और संरक्षण समझौता हेतु सरकार का विरोध कर रहे हैं.
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