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तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के स्टालिन के बेटे और राज्य के खेल और युवा मामलों के मंत्री उदयनिधि स्टालिन का 'सनातन' पर दिए बयान से देशभर में बवाल मचा है. सनातन धर्म पर अपनी टिप्पणी को लेकर विवादों में आए उदयनिधि स्टालिन ने इस मुद्दे पर अपनी स्थिति के बारे में DMK कैडरों को चार पन्नों का एक खुला पत्र लिखा है. इस पत्र में उन्होंने लिखा है कि ''DMK किसी भी धर्म के खिलाफ नहीं है.''
उधर, एम.के स्टालिन ने इस पूरे मसले पर पीएम मोदी पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए तथ्यों की ठीक से जांच किए बिना उदयनिधि स्टालिन के बयान पर टिप्पणी करना 'अनुचित' है."
उदयनिधि ने शनिवार, 2 सितंबर को चेन्नई में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा, “कुछ चीजों का विरोध नहीं किया जा सकता है, उन्हें समाप्त कर दिया जाना चाहिए. हम डेंगू, मच्छर, मलेरिया या कोरोना का विरोध नहीं कर सकते, हमें इन्हें खत्म करना होगा. उसी प्रकार हमें सनातन धर्म का विरोध नहीं बल्कि उसे मिटाना है.”
उन्होंने आरोप लगाया कि सनातन ने लोगों को जातियों के आधार पर बांटा. उदयनिधि के इस बयान पर बवाल शुरू हुआ और बीजेपी ने उन्हें निशाने पर लेना शुरू किया.
बीजेपी नेताओं ने उदयनिधि और 'INDIA' गठबंधन को एकसाथ घेरा. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि INDIA गठबंधन के नेता वोट बैंक और तुष्टीकरण की राजनीति के लिए हिन्दू धर्म को समाप्त करना चाहते हैं. वोट बैंक और तुष्टिकरण की राजनीति के लिए सनातन धर्म का अपमान किया गया है.
दूसरी तरफ बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा, "जहां एक तरफ हम भारत को विकसित राष्ट्र बनाने में लगे हैं, वहीं ये घमंडिया गठबंधन हमारी संस्कृति, धर्म, और संस्कारों पर गहरा आघात करने का प्रयास कर रहा है. राहुल गांधी की 'मुहब्बत की दुकान' में सनातन धर्म से नफरत का सामान कैसे बिक रहा है."
बीजेपी की आलोचनाओं के बीच उदयनिधि ने अपनी सफाई भी दी. बीजेपी के आईटी हेड अमित मालवीय के एक ट्वीट पर जवाब देते हुए उदयनिधि ने लिखा कि फर्जी खबरें फैलाना बंद करें. मैंने कभी भी सनातन धर्म का पालन करने वाले लोगों के नरसंहार का आह्वान नहीं किया. सनातन धर्म एक ऐसा सिद्धांत है, जो लोगों को जाति और धर्म के नाम पर बांटता है. सनातन धर्म को उखाड़ना मानवता और मानव समानता को कायम रखना है.
दरअसल, सनातन पर उदयनिधि स्टालिन की टिप्पणी के बाद मीडिया में खबरें चलीं कि पीएम मोदी ने अपने मंत्रियों को सलाह दी है कि उदयनिधि के बयान का “सही तरीके से” जवाब दिया जाना चाहिए. इसके अलावा पीएम ने मंत्रियों को ‘India’ और ‘भारत’ विवाद पर टिप्पणी न करने की सलाह भी दी. उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर सिर्फ अधिकृत व्यक्ति को ही बोलना चाहिए."
एम.के स्टालिन ने बेटे उदयनिधि के बयान पर सफाई देते हुए कहा कि "उदयनिधि स्टालिन ने 'सनातन धर्म में अमानवीय प्रथाओं' के बारे में कुछ टिप्पणी की थी, जिसके बारे में पहले भारतीय उपमहाद्वीप के थानथाई पेरियार, महात्मा गांधी, श्री नारायण गुरु, बाबा साहेब अम्बेडकर, वल्लालर और वैकुंठर जैसे महान समाज सुधारक भी कह चुके हैं."
उन्होंने आगे कहा कि...
एम.के स्टालिन ने कहा कि प्रधानमंत्री के पास उदयनिधि के बयान को सत्यापित करने के लिए सभी संसाधन हैं और फिर भी राष्ट्रीय मीडिया में यह बताया गया कि उन्होंने मंत्रिपरिषद की बैठक में कहा कि उदयनिधि को उचित जवाब देने की आवश्यकता है. उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री सनातन धर्म का हवाला देकर अपनी सरकार की विफलताओं से ध्यान भटकाने की कोशिश कर रहे हैं.
उदयनिधि स्टालिन ने द्रविड़ समानता के अपने रुख पर कायम रहते हुए कहा कि ''डीएमके किसी भी धर्म के खिलाफ नहीं है."
दिवंगत DMK विचारक और तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री सी.एन.अन्नादुरई का हवाला देते हुए उदयनिधि ने कहा कि "यदि कोई धर्म समानता और जातिविहीन समाज की वकालत कर रहा है, तो वह एक आध्यात्मिक व्यक्ति बन जाएंगे, लेकिन यदि कोई धर्म जातिवाद को बढ़ावा दे रहा है, तो वह इसका विरोध करने वाले पहले व्यक्ति होंगे."
वहीं, उदयनिधि स्टालिन ने राज्य सरकार से अयोध्या के आचार्य परमहंस के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करने का भी अनुरोध किया है, जिन्होंने "उनका सिर काटने वाले को 10 करोड़ रुपये का इनाम" देने की घोषणा की है. उन्होंने कार्यकर्ताओं से संत परमहंस का पुतला नहीं जलाने को भी कहा है.
DMK उत्तराधिकारी ने यह भी कहा कि बीजेपी उनके बयान को तोड़-मरोड़कर पेश करने की कोशिश कर रही है और यहां तक कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी उनकी टिप्पणियों को तोड़-मरोड़कर पेश किया है.
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