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बहुजन समाज पार्टी की मुखिया और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ पर जोरदार हमला बोला है. मायावती ने मोहन भागवत के आरक्षण को लेकर दिए गए हालिया बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि संघ अपनी आरक्षण विरोधी मानसिकता को त्याग दे तो बेहतर है.
बता दें, संघ प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को कहा था कि जो आरक्षण के पक्ष में हैं और जो इसके खिलाफ हैं उन लोगों के बीच इस पर सद्भावपूर्ण माहौल में बातचीत होनी चाहिए.
सोमवार को बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने ट्वीट कर कहा-
मायावती का यह बयान संघ प्रमुख मोहन भागवत के रविवार को दिल्ली में दिये गये एक बयान के बाद आया है. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को कहा था कि जो आरक्षण के पक्ष में हैं और जो इसके खिलाफ हैं उन लोगों के बीच इस पर सद्भावनापूर्ण माहौल में बातचीत होनी चाहिए.
भागवत ने कहा था कि उन्होंने पहले भी आरक्षण पर बात की थी लेकिन इससे बहुत हंगामा मचा और पूरी चर्चा वास्तविक मुद्दे से भटक गई.
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की ‘‘आरक्षण पर सौहार्द्रपूर्ण माहौल में चर्चा’’ संबंधी टिप्पणी को लेकर कांग्रेस ने बीजेपी और संघ को "दलित-पिछड़ा विरोधी'' करार दिया है. कांग्रेस ने आरोप लगाया कि आरक्षण और संविधान इनके निशाने पर है और यही इनका ‘‘असली एजेंडा’’ है.
पार्टी प्रवक्ता पवन खेड़ा ने यह भी दावा किया कि भागवत के बयान का मकसद विवाद खड़ा करके लोगों का ध्यान भटकाना है. उन्होंने कहा-
पार्टी के वरिष्ठ नेता पी एल पुनिया ने आरोप लगाते हुए कहा, ''यह सोची समझी चाल है. उनकी मानसिकता आरक्षण खत्म करने की है. क्या यह सही नहीं है कि इन लोगों ने शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण खत्म करने की कोशिश नहीं की ?''
पुनिया ने कहा, '' भूमि उपयोग को गलत दिखाकर दिल्ली में रविदास मंदिर को ढहा दिया गया.'' उन्होंने आरोप लगाया, ''बीजेपी और आरएसएस दलित विरोधी हैं. ये लोग दलितों और ओबीसी को मिल रहे लाभ को खत्म करना चाहते हैं.''
कांग्रेस नेता उदित राज ने कहा कि ओबीसी समाज को भी समझना होगा कि ये लोग आरक्षण खत्म करना चाहते हैं और वे भी इनके निशाने पर हैं. उन्होंने कहा-
इससे पहले भावगत के बयान से जुड़ी खबर ट्विटर पर शेयर करते हुए कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा-
उन्होंने यह भी कहा, ‘‘राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ-भाजपा का दलित-पिछड़ा विरोधी चेहरा उजागर हुआ. गरीबों के आरक्षण को खत्म करने का षड्यंत्र और संविधान बदलने की उनकी अगली नीति बेनकाब हुई.’’
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