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भारत और चीन की सेनाओं के बीच पिछले साल 15 जून को गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बारे में सरकार ने कुछ जानकारियां सार्वजनिक की हैं. भारत सरकार ने चीनी सेना के हमले के खिलाफ भारतीय सैनिकों की टुकड़ी का नेतृत्व करने वाले कर्नल बी संतोष बाबू के साहस की कहानी को सामने रखा है.
सरकार ने बताया है कि
सरकार ने कहा है कि गंभीर रूप से घायल होने के बाद भी, कर्नल संतोष बाबू ने दुश्मन के हमले को रोकने के लिए विपरीत परिस्थितियों के बावजूद नियंत्रण के साथ आगे आकर नेतृत्व किया, कर्नल ने अपनी आंखिरी सांस तक दुश्मन के हमले का विरोध किया था.
बता दें कि संतोष बाबू को मरणोपरांत दूसरे सबसे बड़े सैन्य सम्मान महावीर चक्र से नवाजा गया है. सोमवार को की गई एक आधिकारिक घोषणा के मुताबिक, उन्हें यह पदक दुश्मन की मौजूदगी में अदम्य साहस का परिचय देने के लिए प्रदान किया गया है. गलवान घाटी में हुई झड़प में शहीद हुए चार अन्य सैनिकों- नायब सूबेदार नुदुराम सोरेन, हवलदार (गनर) के पलानी, नायक दीपक सिंह और सिपाही गुरतेज सिंह को वीर चक्र से सम्मानित किया गया है.
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