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जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने पीओके पर लगातार बोलने वाले नेताओं की खिंचाई की है. मलिक ने कहा है देश के जिन नेताओं को अंतरराष्ट्रीय मामलों पर बोलने का मौका नहीं मिलता वे पीओके पर चढ़ाई किए हुए हैं. ऐसे नेता कहते हैं कि पीओके अब अगला टारगेट है. लेकिन अगर यह अगला टारगेट है तो इसे लड़ाई के बजाय जम्मू-कश्मीर की तरक्की के आधार पर ले सकते हैं.
सत्यपाल मलिक ने कहा कि पिछले कुछ दिनों देश के कई नेता यह कह रहे हैं कि अब पीओके हमारा टारगेट है. हमें पोओके ले लेना चाहिए. लेकिन पीओके को लेकर हमारी नीति अलग है. दरअसल हम जम्मू-कश्मीर और यहां के लोगों का इतना विकास कर देना चाहते हैं कि पीओके के लोग यह देख कर कहने लेंगे कि हमें जम्मू-कश्मीर में जाना है. इस तरह बगैर लड़ाई के भी हम पीओके ले सकते हैं.
कुछ दिनों पहले केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा था कि हमारा अगला एजेंडा पीओके को भारत में मिलाना है. सिंह ने पीओके के सवाल पर कहा था कि यह केवल मेरी या मेरी पार्टी की प्रतिबद्धता नहीं है बल्कि यह 1994 में पी. वी. नरसिंह राव के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार की ओर से सर्वसम्मति से पारित संकल्प का हिस्सा है. जितेंद्र सिंह के बयान के बाद सेना प्रमुख बिपिन रावत ने भी कहा था कि हमारी सेना किसी भी अभियान के लिए हमेशा तैयार है.बिपिन रावत ने यह बात पीओके से जुड़े एक सवाल के जवाब में कही थी.
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