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हिंदी पर शाह के विचार को चिदंबरम ने बताया खतरनाक,कहा- स्वीकार नहीं

हिंदी थोपे जाने के खिलाफ 20 सितंबर को DMK का प्रदर्शन

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तिहाड़ जेल में बंद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने हिंदी को लेकर हो रहे हंगामे पर अपनी प्रतिक्रिया दी है. चिदंबरम ने कहा है कि यह विचार कि अकेले हिंदी ही देश के लोगों को एकजुट कर सकती है, एक खतरनाक प्रवृत्ति है.

चिदंबरम ने कहा कि वह इस विचार का समर्थन करते हैं कि सभी भाषाओं को विकसित किया जाना चाहिए, लेकिन वह कभी स्वीकार नहीं करेंगे कि हिंदी अकेले देश को एकजुट कर सकती है.

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चिदंबरम के आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर लिखा गया कि

यह एक खतरनाक विचार है कि अकेले हिंदी ही इस देश के लोगों को एकजुट कर सकती है. तमिल लोग, साथ ही साथ अन्य सभी लोग जो अन्य भाषाएं बोलते हैं, कभी भी हिंदी को लागू नहीं होने देंगे.

बता दें, चिदंबरम फिलहाल तिहाड़ जेल में बंद हैं, उनके हवाले से उनका परिवार ट्वीट कर तमाम मुद्दों पर चिदंबरम की प्रतिक्रियाएं पोस्ट करता है. एक अन्य ट्वीट में लिखा है-

हम सभी भाषाओं के विकास का समर्थन करते हैं, लेकिन हम इस विचार को कभी स्वीकार नहीं करेंगे कि अकेले हिंदी इस देश के लोगों को एकजुट करेगी. मैं तमिलनाडु के कांग्रेस अध्यक्ष केएस अलागिरी से आग्रह करता हूं कि वे सभी कांग्रेस कार्यकर्ताओं को हिंदी का विरोध करने के लिए 20 सितंबर को DMK द्वारा घोषित राज्यव्यापी विरोध में शामिल होने के लिए कहें.

हिंदी थोपे जाने के खिलाफ 20 सितंबर को DMK का प्रदर्शन

तमिलनाडु की प्रमुख विपक्षी पार्टी, डीएमके हिंदी को वैश्विक स्तर पर बढ़ावा देने की आड़ में हिंदी थोपने पर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के दृष्टिकोण के खिलाफ प्रदर्शन आयोजित करेगी. डीएमके पूरे राज्य में 20 सितंबर को सुबह 10 बजे सभी जिला मुख्यालयों पर विरोध प्रदर्शन करेगी.

पार्टी ने केंद्र सरकार से यह भी आग्रह किया कि वह आर्थिक वृद्धि के लिए रचनात्मक कदम उठाने पर ध्यान दे और हिंदी थोपने के अपने कदम को त्याग दे. तमिलनाडु के राजनीतिक दलों ने हिंदी दिवस पर शनिवार को आई शाह की टिप्पणियों का विरोध किया है.

शाह के हिंदी वाले बयान पर मचा है हंगामा

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हिंदी दिवस पर ट्वीट कर कहा था, "भारत अलग-अलग भाषाओं का देश है, और प्रत्येक भाषा का अपना महत्व है. लेकिन पूरे देश की एक भाषा होना जरूरी है, जो दुनिया में भारत की पहचान बने. आज अगर कोई भाषा देश को एकजुट कर सकती है तो वह हिंदी है, जो सबसे ज्यादा बोली जाती है."

शाह के इस बयान के बाद से हिंदी पर हंगामा जारी है. दक्षिण के तमाम नेता हिंदी को थोपे जाने के केंद्रीय मंत्री अमित शाह के विचार का विरोध कर रहे हैं.

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