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सावन (Sawan) का महीना भगवान शिव को पूरी तरह समर्पित होता है. सावन में सोमवार (Sawan Monday) के दिन पूजा करने से भगवान शिव अत्यंत प्रसन्न होते है. सावन का महीना शिव जी को इतना प्रिय है क्योंकि इस महीने सबसे अधिक वर्षा होती है और अधिक वर्षा शिव जी के विष से भरे शरीर को ठंडक प्रदान करती है.
इस बार सावन का महीना हर बार के सावन के महीनों से अलग होगा. पंचांग के अनुसार, इस साल सावन का महीना 4 जुलाई से शुरू होकर 31 अगस्त तक रहेगा.
हर तीन साल पर एक अतिरिक्त मास होता है. जिसे हम अधिकमास, मलमास या पुरुषोत्तम मास भी कहते है. जिसमें 8 सोमवार व्रत किए जाएंगे.
सावन का पहला सोमवार 10 जुलाई और आखिरी सोमवार 28 अगस्त को पड़ेगा.
सावन के इन 59 दिनों में 4 जुलाई से 18 जुलाई तक कृष्ण पक्ष होगा.
18 जुलाई से 16 अगस्त तक अधिकमास रहेगा
17 अगस्त से 31 अगस्त तक सावन महीने का शुक्ल पक्ष होगा.
शाम 5.29 से रात 08.39 तक शिव पूजा के लिए श्रेष्ठ मुहूर्त है.
शिव पूजा में आप भोलेनाथ का पंचामृत (दूध, दही, शहद, घी, शक्कर) से अभिषेक करें.
उन्हें पान, सुपारी, धतूरा, आक के फूल और बेलपत्र अर्पित करें.
वेदों और शास्त्रों में सावन महीने के महत्व को बहुत विस्तार से बताया गया है. मान्यता है कि माता पार्वती ने कठोर वर्त और उपवास करके महादेव को सावन के महीने में ही पति रूप में प्राप्त किया था. सावन मास में भगवान शिव की पूजा अर्चना करने से सभी दुखों का नाश होता है और साधक की सभी मनोकामनाएं भी पूर्ण होती हैं.
सावन महीने के सभी सोमवार के दिन वर्त करना बहुत अधिक शुभ माना गया है. इन्हें सावन सोमवार या श्रावन सोमवार वर्त के नाम से जाना जाता है. कई लोग सावन से शुरू करके 16 सोमवार वर्त भी करते है.
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