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वैक्सीनेशन लागत 3.7 लाख Cr,लॉकडाउन से राजस्व नुकसान 5.5 लाख Cr:SBI

SBI रिपोर्ट में कहा गया कि भारत को यूरोपियन यूनियन मॉडल से सीख लेनी चाहिए

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(फाइल फोटो: PTI) 
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भारत कोविड-19 की दूसरी लहर के साथ वैक्सीन की कमी से जूझ रहा है. इस बीच एसबीआई ईकोरैप की एक रिपोर्ट में सिफारिश की गई है कि केंद्र को राज्यों के साथ समन्वय में कंपनियों के साथ सौदा करना चाहिए, ताकि हम बड़ी आबादी का टीकाकरण सुनिश्चित कर सकें. साथ ही रिपोर्ट में कहा गया कि पूरी आबादी को वैक्सीन देने की अनुमानित लागत 3.7 लाख करोड़ होगी.

SBI ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि अगर हम कुछ स्थिति समझें जिसमें $5, $10, $20, $30 और $40 जैसी विभिन्न कीमतों को 73 के रूपया-डॉलर एक्सचेंज रेट लिया जाए और मान लिया जाए कि केंद्र राज्यों की आबादी को 50 फीसदी वैक्सीन देगा, तो बाकी की 50 फीसदी आबादी के लिए कुल वैक्सीनेशन लागत सिक्किम में 20 करोड़ और उत्तर प्रदेश में 67,100 करोड़ होगी.

इसमें ये माना गया कि सिक्किम में वैक्सीन $5 और यूपी में $40 पर खरीदी जाएगी.

रिपोर्ट में कहा गया कि अगर सबसे ज्यादा कीमत पर भी वैक्सीन खरीदी जाए तो कुल लागत 3.7 लाख करोड़ होगी, जो कि 5.5 लाख करोड़ के रेवेन्यू नुकसान से काफी कम है. इसमें माना गया कि अधिकतर राज्यों में लॉकडाउन जून में खत्म हो जाएगा.  
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यूरोपियन यूनियन मॉडल से सीख ले भारत

SBI ईकोरैप की रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि भारत को वैक्सीन खरीद के लिए यूरोपीय संघ के मॉडल का पालन करना चाहिए. रिपोर्ट में कहा गया है, भारत को आदर्श रूप से वैश्विक वैक्सीन खरीद में यूरोपीय संघ के टेम्पलेट का पालन करना चाहिए.

वैश्विक स्तर पर यूरोपीय संघ आयोग एक संयुक्त वार्ता दल के साथ संयुक्त रूप से वैक्सीन आपूर्तिकर्ताओं के साथ बातचीत करता है.

इसने आगे सुझाव दिया कि सरकार को सबसे अधिक प्रभावित जिलों के लोगों को पहले टीकाकरण पर ध्यान देना चाहिए, ताकि प्रसार को नियंत्रित किया जा सके. 

यूनिसेफ के आंकड़ों के अनुसार, विश्व स्तर पर रिपोर्ट की गई उत्पादन क्षमता (प्रति खुराक) 2021 में 22.2 अरब है. 22.2 अरब की रिपोर्ट की गई उत्पादन क्षमता में से 13.74 अरब डोज के समझौते पहले ही औपचारिक रूप से हो चुके हैं और इसमें से 9.34 अरब डोज सुरक्षित हैं. यूनिसेफ में डैशबोर्ड डेटा के अनुसार भारत ने 0.28 अरब डोज सुरक्षित की हैं.

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