Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019India Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019SC ने चिन्मयानंद की जमानत को चुनौती देने वाली याचिका खारिज की

SC ने चिन्मयानंद की जमानत को चुनौती देने वाली याचिका खारिज की

HC ने तीन फरवरी को चिन्मयानंद को जमानत दे दी थी

क्विंट हिंदी
भारत
Published:
हाई कोर्ट ने तीन फरवरी को चिन्मयानंद को जमानत दे दी थी जिसमें चिन्मयानंद को सेक्सुअल हेरेस्मेंट के एक मामले में गिरफ्तार किया गया था.
i
हाई कोर्ट ने तीन फरवरी को चिन्मयानंद को जमानत दे दी थी जिसमें चिन्मयानंद को सेक्सुअल हेरेस्मेंट के एक मामले में गिरफ्तार किया गया था.
(फोटो : फेसबुक)

advertisement

सुप्रीम कोर्ट ने सेक्सुअल हेरेस्मेंट मामले में पूर्व केंद्रीय मंत्री चिन्मयानंद को जमानत देने के इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका को मंगलवार को खारिज कर दिया.

जज अशोक भूषण और जज नवीन सिन्हा की बैंच ने याचिका को ये कहते हुए खारिज कर दिया कि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने चिन्मयानंद को जमानत देने वाले आदेश में कारण दिए थे और इसलिए इसमें किसी हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT
हालांकि पीठ ने चिन्मयानंद के खिलाफ चल रहे मामले को दिल्ली की अदालत को सौंपने संबंधी एक दूसरी याचिका पर उत्तर प्रदेश सरकार और अन्य को नोटिस जारी किया है. 

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सहारनपुर की एक छात्रा के यौन उत्पीड़न मामले में पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वामी चिन्मयानंद की जमानत याचिका कुछ शर्तों के साथ 3 फरवरी को मंजूर की थी. चिन्मयानंद की जमानत याचिका पर जस्टिस राहुल चतुर्वेदी ने जमानत का आदेश दिया था.

बता दें कि चिन्मयानंद की जमानत की अर्जी सशर्त मंजूर करते हुए कोर्ट ने कहा था,

“निजी मुचलका और संबंधित अदालत की संतुष्टि के हिसाब से दो पुख्ता जमानती के साथ चिन्मयानंद उर्फ कृष्ण पाल सिंह को रिहा किया जाए.’’ कोर्ट ने कहा, “आवेदक इस बात का एक शपथ पत्र देगा कि जब अदालत में प्रमाण पेश करने के लिए गवाह मौजूद हों, वह निर्धारित तारीख को सुनवाई टालने की मांग नहीं करेगा. इस शर्त के उल्लंघन पर निचली अदालत इसे आजादी का दुरुपयोग मानने के लिए स्वतंत्र होगी और कानून के मुताबिक आदेश पारित करेगी.”

कोर्ट ने आगे कहा था, "आवेदक सुनवाई के लिए निर्धारित हर तारीख पर निचली अदालत में खुद या अपने वकील के माध्यम से मौजूद रहेगा. पर्याप्त कारण के बगैर अनुपस्थित रहने पर निचली अदालत उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 229-ए के तहत कार्यवाही शुरू कर सकती है."

हाई कोर्ट ने तीन फरवरी को चिन्मयानंद को जमानत दे दी थी जिसमें चिन्मयानंद को सेक्सुअल हेरेस्मेंट के एक मामले में गिरफ्तार किया गया था.

बता दें कि चिन्मयानंद पर एक लॉ कॉलेज की छात्रा ने यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए थे. वहीं चिन्मयानंद ने इस छात्रा और उसके साथियों पर उन्हें ब्लैकमेल करने और 5 करोड़ रुपये की रंगदारी मांगने के आरोप लगाए थे.

यह भी पढ़ें: चिन्मयानंद केस: जज ने कहा- वर्जिनिटी दांव पर, फिर भी चुप लड़की

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: undefined

Read More
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT