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चिन्मयानंद केस: जज ने कहा- वर्जिनिटी दांव पर, फिर भी चुप लड़की

चिन्मयानंद पर एक लॉ कॉलेज की छात्रा ने यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए थे

Published
भारत
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इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सहारनपुर की एक छात्रा के यौन उत्पीड़न मामले में पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वामी चिन्मयानंद की जमानत याचिका कुछ शर्तों के साथ 3 फरवरी को मंजूर कर दी. चिन्मयानंद की जमानत याचिका पर जस्टिस राहुल चतुर्वेदी ने जमानत का आदेश दिया.

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अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, हाई कोर्ट ने इसे 'कुछ के बदले कुछ' का मामला बताया है. कोर्ट ने कहा कि छात्रा का व्यवहार चौंकाने वाला है और उसने आरोपी को रंगदारी के लिए ब्लैकमेल करने की कोशिश की.

जस्टिस चतर्वेदी ने अपने आदेश में कहा, '

‘एक लड़की, जिसकी वर्जिनिटी दांव पर है, वो इस कथित घटना के बारे में अपने माता-पिता या कोर्ट के सामने एक शब्द भी नहीं बोल रही है, यह आश्चर्यजनक व्यवहार है.’’
जस्टिस राहुल चतुर्वेदी

बता दें कि चिन्मयानंद की जमानत की अर्जी सशर्त मंजूर करते हुए कोर्ट ने कहा, "निजी मुचलका और संबंधित अदालत की संतुष्टि के हिसाब से दो पुख्ता जमानती के साथ चिन्मयानंद उर्फ कृष्ण पाल सिंह को रिहा किया जाए.’’ कोर्ट ने कहा, "आवेदक इस बात का एक शपथ पत्र देगा कि जब अदालत में प्रमाण पेश करने के लिए गवाह मौजूद हों, वह निर्धारित तारीख को सुनवाई टालने की मांग नहीं करेगा. इस शर्त के उल्लंघन पर निचली अदालत इसे आजादी का दुरुपयोग मानने के लिए स्वतंत्र होगी और कानून के मुताबिक आदेश पारित करेगी."

कोर्ट ने आगे कहा, "आवेदक सुनवाई के लिए निर्धारित हर तारीख पर निचली अदालत में खुद या अपने वकील के माध्यम से मौजूद रहेगा. पर्याप्त कारण के बगैर अनुपस्थित रहने पर निचली अदालत उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 229-ए के तहत कार्यवाही शुरू कर सकती है."

बता दें कि चिन्मयानंद पर एक लॉ कॉलेज की छात्रा ने यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए थे. वहीं चिन्मयानंद ने इस छात्रा और उसके साथियों पर उन्हें ब्लैकमेल करने और 5 करोड़ रुपये की रंगदारी मांगने के आरोप लगाए थे.

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