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कोरोना वायरस के संकट से निपटने लिए बनाए गए पीएम केयर फंड को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दाखिल एक याचिका पर सोमवार (13 मार्च) को सुनवाई की जाएगी. पीएम केयर फंड को 28 मार्च को केंद्र सरकार ने आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए बनाई थी, जिससे लोगों की मदद की जाए. प्रधानमंत्री निधि के पदेन अध्यक्ष होते हैं जबकि रक्षा, गृह और वित्त मंत्री इसके पदेन सदस्य होते हैं.
चीफ जस्टिस एसए बोबडे और जस्टिस एल नागेश्वर राव और एमएम शांतनगौदर की खंडपीठ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पीएम केयर फंड की स्थापना के खिलाफ वकील एम एल शर्मा की दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करेगी.
जनहित याचिका में याचिकाकर्ता ने कहा है कि,
इस पीआईएल में सभी ट्रस्टियों के अलावा प्रधानमंत्री मोदी को भी पक्ष बनाया गया है. पीआईएल में यह भी मांग की गई है कि कोर्ट के निर्देशन में फंड की एसआईटी जांच की जाए. इसके अलावा इसमें जितना भी धन इकट्ठा हुआ है सब भारत के समेकित निधि में ट्रांसफर की जाए.
पीआईएल में कहा गया है कि ट्रस्ट को संविधान के अनुच्छेद 267 और 266 (2) के अनुसार बनाया जाना था, जो कि भारत की आकस्मिकता और समेकित निधि से संबंधित है.
यह ट्रस्ट न तो इसे सांसदों ने पारित किया है और न ही इसे भारत के राष्ट्रपति ने अनुमोदित किया है. इस संबंध में कोई अध्यादेश या राजपत्र अधिसूचना नहीं है.
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