Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019India Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019गुजरात दंगे: तत्कालीन CM नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट खिलाफ याचिका पर SC में सुनवाई

गुजरात दंगे: तत्कालीन CM नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट खिलाफ याचिका पर SC में सुनवाई

गुजरात दंगों से संबंधित जकिया जाफरी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई

क्विंट हिंदी
भारत
Published:
<div class="paragraphs"><p>जकिया जाफरी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई</p></div>
i

जकिया जाफरी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

(फोटो- द क्विंट)

advertisement

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में 2002 के गुजरात दंगों में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) और अन्य उच्च पदाधिकारियों को क्लीन चिट देने वाली एसआईटी रिपोर्ट को चुनौती देने वाली जकिया अहसान जाफरी की याचिका पर सुनवाई हुई.

मामले की सुनवाई करने वाली बेंच में जस्टिस एएम खानविलकर, दिनेश माहेश्वरी और सीटी रविकुमार शामिल थे.

याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल पैरवी कर रहे हैं.

एसआईटी की रिपोर्ट को दी गई चुनौती

2002 के गुजरात दंगों (Gujrat Riots) के दौरान गुलबर्ग हाउसिंग सोसाइटी हत्याकांड में मारे गए कांग्रेस विधायक एहसान जाफरी की विधवा जकिया जाफरी ने एसआईटी रिपोर्ट को चुनौती देते हुए एक विशेष अनुमति याचिका के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.

गोधरा हत्याकांड के बाद सांप्रदायिक दंगे भड़काने में राज्य के पदाधिकारियों द्वारा किसी भी बड़ी साजिश से इनकार किया गया है.

कपिल सिब्बल ने कहा कि हमने सुविधा संबंधी शिकायत दर्ज की है और 3 खंड भी जमा किए हैं. मामले में कोई नोटिस जारी नहीं किया गया है.

याचिकाकर्ता ने डीजीपी के समक्ष एक शिकायत दर्ज कराई जिसमें आरोप लगाया गया कि गोधरा की उस भयानक घटना से पहले भी, कुछ पूर्व घटनाएं थीं जिन्होंने सांप्रदायिक दंगे को भड़काया.

कपिल सिब्बल ने सबूत पेश करते हुए कहा कि मेरे पास सबूत हैं, और ये मेरे द्वारा नहीं बल्कि खुफिया अधिकारियों द्वारा उपलब्ध कराए गए हैं. इस सबूत को ध्यान में रखा जाना चाहिए ताकि यह पता लगाया जा सके कि अपराध किया गया है.

उन्होंने कोर्ट को बताया कि साक्ष्य है कि पुलिस कार्रवाई नहीं कर रही थी, अभद्र भाषा प्रयोग में लायी जा रही थी, लोगों को झूठी जानकारी प्रदान की जा रही थी.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

गवाहों की जांच करने की बात

सूचना को नोट करने और संज्ञान लेने के लिए मजिस्ट्रेट का कर्तव्य है. उन्होंने सवाल करते हुए कहा कि क्या एसआईटी ने कहा कि कोई मामला नहीं बनता है, यह पूरी तरह अप्रासंगिक है. न तो मजिस्ट्रेट ने और न ही न्यायालय ने ऐसा किया है.

सीनियर एडवोकेट सिब्बल आगे तारीखें बताते हैं... उन्होंने बताया कि 9 जनवरी, 2010 को सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में रिकॉर्ड किया कि मामले की जटिलता और गंभीरता को देखते हुए, बहुत बड़ी संख्या में गवाहों की जांच की जानी है और राज्य सरकार से बड़ी संख्या में दस्तावेज प्राप्त किए जाने हैं.

सिब्बल आगे कहते हैं कि यह कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं है, यह राज्य की प्रशासनिक विफलता है जिससे मैं चिंतित हूं. मैं सिर्फ जांच चाहता हूं.

कपिल सिब्बल ने कहा कि जब यह सारी सामग्री शिकायत के आधार पर एकत्र की गई थी, यह गुलबर्ग तक ही सीमित नहीं थी. शिकायतकर्ता गुलबर्ग का रहने वाला था, इसलिए वहां भेजा गया.

सीनियर एडवोकेट सिब्बल ने एसआईटी रिपोर्ट के जरिए कोर्ट का रुख किया. उन्होंने कहा कि हम एक प्राथमिकी का प्रस्ताव कर रहे थे, लेकिन अदालत ने कहा नहीं, एफआईआर की क्या जरूरत है हम आपको मजिस्ट्रेट के पास भेज रहे हैं.

उन्होंने सवाल करते हुए कहा कि अगर हम कोर्ट को कुछ बताते हैं और कोर्ट कहता है कि मैं इसे नहीं देखूंगा, हम कहां जाएं, हम किस कोर्ट में जाएं. इसकी जांच क्यों नहीं हुई?

पेश की गयी रिपोर्ट पर बेंच द्वारा पूछा गया कि रिपोर्ट क्लोजर नहीं थी. इस पर जवाब देते हुए सिब्ब्ल ने कहा कि यह एसआईटी की पहली रिपोर्ट थी.

बेंच द्वारा कहा गया कि हमें क्लोजर रिपोर्ट देखनी है. इस पर कपिल सिब्बल ने कहा कि एसआईटी की क्लोजर रिपोर्ट भी जकिया की शिकायत से संबंधित है जो गुलबर्ग तक सीमित नहीं है.

कपिल सिब्बल ने बेंच से कहा कि, हम अगले दिन क्लोजर रिपोर्ट के साथ शुरू करेंगे. इस मामले की अगली सुनवाई कोर्ट बुधवार 26 अक्टूबर को भी जारी रखेगी.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: undefined

Read More
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT