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सबरीमला मंदिर में हर आयु वर्ग की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति देने वाले फैसले के खिलाफ दायर पुनर्विचार याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट 13 नवंबर को सुनवाई करेगा. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ कुल 19 पुर्नविचार याचिकाएं लंबित हैं.
कोर्ट ने 28 सितंबर को सबरीमाला मंदिर में हर उम्र की महिलाओं को प्रवेश करने की इजाजत दी थी. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी सभी आयुवर्ग की महिलाओं को सबरीमाला मंदिर में प्रार्थना का अधिकार नहीं मिल सका.
सबरीमाला मंदिर में ‘दर्शन' के आखिरी दिन, सोमवार को ‘‘रजस्वला'' आयुवर्ग की एक और महिला ने मंदिर में प्रवेश की कोशिश की, लेकिन प्रदर्शनकारियों के विरोध के चलते उन्हें वापस लौटना पड़ा.
अधिकारियों ने कहा कि दलित कार्यकर्ता बिंदू पहाड़ी पर सबरीमाला मंदिर के निचले हिस्से में स्थित पम्बा की ओर बढ़ रही थी. पम्बा से ही श्रद्धालु मंदिर के लिए पांच किलोमीटर की चढ़ाई शुरू करते हैं. दलित कार्यकर्ता को उनके अनुरोध पर पुलिस प्रोटेक्शन दिया गया. बिंदू केरल राज्य परिवहन निगम की बस में पुलिसकर्मियों के साथ सफर कर रही थीं. बस जब पम्बा पहुंचने वाली थी, “नैश्तिक ब्रह्मचारी” के मंदिर में 10 से 50 साल की आयु वर्ग की लड़कियों और महिलाओं के प्रवेश का विरोध कर रहे श्रद्धालुओं और बीजेपी कार्यकर्ताओं के एक समूह ने सड़क जाम कर उन्हें बस से उतरने के लिए मजबूर कर दिया.
अधिकारियों ने बताया कि बिंदू को पुलिस की जीप में ले जाया गया.
‘मेलसंति' या मुख्य पुजारी और अन्य पुजारी भगवान अयप्पा की प्रतिमा के दोनों तरफ खड़े थे और ‘हरिवर्षनम' का गायन किया और कार्यक्रम के बीच में पूजा स्थल के दीपों को बुझाना शुरू कर दिया. गायन के अंतिम पंक्ति के साथ ही कपाट को बंद कर दिया गया.
बता दें कि मलयालम महीनों के पहले पांच दिन मंदिर के कपाट खोले जाते हैं. इसके अलावा पूरे साल मंदिर के दरवाजे आम दर्शनार्थियों के लिए बंद रहते हैं.
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