मेंबर्स के लिए
lock close icon
Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019India Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-20192010 के बाद बिहार में सबसे अधिक राजद्रोह के केस,क्रिकेट-कोविड पर कमेंट पर भी FIR

2010 के बाद बिहार में सबसे अधिक राजद्रोह के केस,क्रिकेट-कोविड पर कमेंट पर भी FIR

2010 से, भारतीयों ने देशद्रोह के आरोप में लगभग 30 लाख घंटे जेल में बिताए हैं.

साध्या मोहन & मेघनाद बोस
भारत
Updated:
<div class="paragraphs"><p>2010 के बाद बिहार में सबसे अधिक राजद्रोह के केस,क्रिकेट-कोविड पर कमेंट पर भी FIR</p></div>
i

2010 के बाद बिहार में सबसे अधिक राजद्रोह के केस,क्रिकेट-कोविड पर कमेंट पर भी FIR

Quint Hindi

advertisement

13,000 से अधिक भारतीयों पर 2010 से विवादास्पद राजद्रोह कानून (Sedition Law) के तहत आरोप लगाए गए हैं. अब सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार, 11 मई को सलाह दी है कि इस कानून का पुनर्विचार हो जाने तक प्रयोग न किया जाए.

कोर्ट ने कहा कि राजद्रोह कानून की कठोरता औपनिवेशिक युग की है और वर्तमान सामाजिक परिवेश के अनुरूप नहीं है. कोर्ट ने राज्य और केंद्र सरकारों को भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए का उपयोग करते हुए किसी भी एफआईआर को दर्ज करने से परहेज करने का निर्देश दिया.

कानून के शासन से संबंधित अनुसंधान और रिपोर्ट पर केंद्रित वेबसाइट आर्टिकल 14 के अनुसार 2010 से लेकर अब तक राजद्रोह कानून का 850 से अधिक मामलों में प्रयोग किया गया है.

2010 से, भारतीयों ने देशद्रोह के आरोप में लगभग 30 लाख घंटे जेल में बिताए हैं. भारत-पाकिस्तान क्रिकेट मैचों के दौरान कथित भड़काऊ भाषण देने, विरोध प्रदर्शन करने से लेकर 'राष्ट्र-विरोधी' नारे लगाने तक के आरोप अलग-अलग हैं.

यहां देखें कि पिछले कुछ सालों में देशद्रोह कानून कैसे लागू किया गया है.

867 राजद्रोह के मामले 2010 से अब तक

2010 से अब तक 13,306 भारतीयों के खिलाफ राजद्रोह के कुल 867 मामले दर्ज किए गए हैं.

2010 के बाद से एक साल के लिए राजद्रोह के सबसे अधिक मामले 2011 में देखे जा सकते हैं, जब तमिलनाडु में कुडनकुलम परमाणु संयंत्र के निर्माण को लेकर स्थानीय लोगों और मछुआरों के जोरदार विरोध प्रदर्शन के दौरान 109 मामलों में 3,000 से अधिक लोगों को आरोपी बनाया गया था. उस साल राजद्रोह के कुल 130 मामले दर्ज किए गए थे.

दर्ज किए गए राजद्रोह के मामलों की संख्या में इसी तरह की वृद्धि व्यापक नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (CAA) के प्रदर्शन के सालों में यानी 2019 और 2020 में देखी जा सकती है.

सबसे अधिक राजद्रोह के मामलों में बिहार सबसे ऊपर

2010 से दर्ज राजद्रोह के मामलों की राज्यवार रैंकिंग में बिहार पहले स्थान पर है, उसके बाद तमिलनाडु दूसरे स्थान पर और उत्तर प्रदेश तीसरे स्थान पर है. तमिलनाडु ने कुडनकुलम परमाणु संयंत्र आंदोलन के संबंध में अपने 76 प्रतिशत मामले दर्ज किए थे.

बिहार में 2014 तक बड़ी संख्या में राजद्रोह के मामले माओवाद और जाली नोट से जुड़े हुए हैं. 2014 के बाद के वर्षों में,राजद्रोह के मामलों के कुछ अधिक सामान्य कारण सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शन, असहिष्णुता के खिलाफ बोलना और कथित तौर पर पाकिस्तान समर्थक नारे लगाना थे.

यूपी में, 26 मामले सरकार या राजनेताओं की आलोचना से संबंधित हैं, जिनमें से 23 मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की निंदा से संबंधित हैं. COVID-19 महामारी से संबंधित 12 मामले, CAA के विरोध में 27 मामले और 20 मामले 2020 हाथरस सामूहिक बलात्कार मामले के संबंध में थे.

झारखंड में, 64 में से लगभग आधे मामले 2018 में दर्ज किए गए थे, जब राज्य में आदिवासी समुदायों ने पत्थलगड़ी आंदोलन किया था.

सरकारों की आलोचना के लिए 106 राजद्रोह के मामले

2010 के बाद से, सरकारों या निर्वाचित प्रतिनिधियों की आलोचना करने के आरोप में 106 राजद्रोह के मामले दर्ज किए गए हैं.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

कुल 149 व्यक्तियों पर 2021 तक प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ "आलोचनात्मक" और / या "अपमानजनक" टिप्पणी करने और उत्तर प्रदेश के सीएम आदित्यनाथ के खिलाफ टिप्पणी पर 144 लोगों पर आरोप लगाया गया था.

दिल्ली में अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी सरकार के तहत असहमति से संबंधित तीन मामले दर्ज किए गए हैं. 106 में से 26 मामले उत्तर प्रदेश में दर्ज किए गए हैं. इसमें से 23 मामले 2017 में योगी आदित्यनाथ सरकार आने के बाद दर्ज किए गए. ऐसे सात मामले जम्मू-कश्मीर में, छह कर्नाटक में, चार दिल्ली में और दो महाराष्ट्र में दर्ज किए गए हैं.

सीएए विरोधी प्रदर्शनों पर राजद्रोह के 3,800 से अधिक आरोप

भारत-पाकिस्तान क्रिकेट मैचों में 104 से अधिक, अठारह व्यक्तियों पर COVID-19 महामारी से संबंधित मामलों में, 133 कृषि कानूनों के विरोध के दौरान, और CAA और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) के विरोध में 3,862 लोगों पर राजद्रोह का आरोप लगाया गया है, जो 2010 के बाद से दर्ज किए गए राजद्रोह के मामलों का सबसे बड़ा कारण बनकर उभरा है. कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र का विरोध, पत्थलगड़ी आंदोलन, स्थानीय और नागरिक विरोध, और सरकार और निर्वाचित प्रतिनिधियों की आलोचना, ये कुछ और कारण हैं जिसके तहत राजद्रोह के मामले दर्ज किए गए हैं.

दशकों से शासन की असहमति को दबाने और आलोचना पर अंकुश लगाने के लिए राजद्रोह के कानून का इस्तेमाल होता रहा है, यहां तक ​​​​कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने 1962 के केदार नाथ मामले के फैसले में कहा था कि भारतीय दंड संहिता की धारा 124 ए के तहत प्रावधान केवल हिंसा के लिए उकसावे के खिलाफ उपयोग किया जाना चाहिए, दिक्कत ये है कि इसकी परिभाषा तय नहीं कि हिंसा के लिए उकसाना क्या है?

हाल के वर्षों में कांग्रेस नेता शशि थरूर, पत्रकार विनोद दुआ और राजदीप सरदेसाई, जलवायु कार्यकर्ता दिशा रवि, लेखक अरुंधति रॉय, छात्र नेता उमर खालिद, कन्हैया कुमार और हजारों किसान, आदिवासी और सोशल मीडिया यूजर्स पर देशद्रोह के केस दर्ज हुए.

(अनुच्छेद 14 से अनुमति के साथ उपयोग किया गया डेटा।)

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

अनलॉक करने के लिए मेंबर बनें
  • साइट पर सभी पेड कंटेंट का एक्सेस
  • क्विंट पर बिना ऐड के सबकुछ पढ़ें
  • स्पेशल प्रोजेक्ट का सबसे पहला प्रीव्यू
आगे बढ़ें

Published: 13 May 2022,05:35 PM IST

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT