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सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने 10 मई को केंद्र सरकार से 24 घंटे में इस बात का जवाब देने को कहा कि क्या राजद्रोह कानून (Sedition Law) की समीक्षा होने तक उसपर रोक लगाई जा सकती है, क्या इस दौरान इस औपनिवेशिक काल के कानून के तहत आरोपी लोगों को इससे सुरक्षा दी जा सकती है. केंद्र आज इसपर अपना जवाब देगा. मालूम हो कि इससे पहले क्रेंद सरकार ने कहा था कि उसने राजद्रोह कानून की समीक्षा करने का फैसला किया है. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने उन लोगों के बारे में चिंता व्यक्त की जो पहले से ही राजद्रोह के आरोपों का सामना कर रहे हैं.
भारत के चीफ जस्टिस एनवी रमना ने सरकारी प्रतिनिधि से कहा कि "हम आपको सरकार से निर्देश लेने के लिए कल सुबह तक का समय दे रहे हैं. हमारी चिंता लंबित मामले और आगे भविष्य के मामलों को लेकर है, जब तक सरकार इस कानून की दोबारा जांच नहीं करती है, तब तक सरकार उन मामलों पर क्या करेगी."
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने रजद्रोह कानून की समीक्षा के लिए सरकार द्वारा और समय के अनुरोध पर और कानून के दुरुपयोग पर कुछ कड़े सवाल पूछे.
चीफ जस्टिस एनवी रमना ने कहा कि "सरकार का कहना है कि वे फिर से जांच कर रही है. लेकिन हम तर्कहीन नहीं हो सकते. हमें यह तय करना होगा कि कितना समय देना है..क्या कोई महीनों जेल में रह सकता है? आपके हलफनामे में नागरिक स्वतंत्रता का जिक्र है. आप उन स्वतंत्रताओं की रक्षा कैसे करेंगे"
इसपर CJI रमना ने कहा कि "हमें दोनों पक्षों को देखना होगा....ऐसा नहीं लगना चाहिए कि हम अतार्किक हैं. लंबित मामलों और दुरुपयोग के बारे में चिंताएं हैं"
CJI ने केंद्र सरकार के प्रतिनिधि सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि "अटॉर्नी जनरल ने खुद पिछली सुनवाई में बताया था कि कैसे हनुमान चालीसा पढ़ने के लिए महाराष्ट्र में राजद्रोह का मामला दर्ज किया गया था". चीफ जस्टिस का इशारा निर्दलीय सांसद नवनीत राणा के खिलाफ दर्ज मामले की ओर था.
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Published: 10 May 2022,05:44 PM IST