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वरिष्ठ पत्रकार सुनील जैन नहीं रहे, 3 दशक और आखिर तक समाज की चिंता

फाइनेंशियल एक्सप्रेस के मैनेजिंग डॉयरेक्टर, वरिष्ठ पत्रकार सुनील जैन का 58 साल की उम्र में कोरोना से निधन

क्विंट हिंदी
भारत
Published:
<div class="paragraphs"><p>वरिष्ठ पत्रकार सुनील जैन का कोरोना से निधन</p></div>
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वरिष्ठ पत्रकार सुनील जैन का कोरोना से निधन

फोटो: क्विंट हिंदी

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वरिष्ठ पत्रकार और फाइनेंशियल एक्सप्रेस के मैनेजिंग डायरेक्टर सुनील जैन नहीं रहे. यह क्षति पत्रकारिता जगत के साथ-साथ पूरे भारत की है. तीन दशकों से ज्यादा वक्त तक अर्थजगत की खबरों को हम तक पहुंचाने वाले सुनील जैन का निधन बीती रात कोरोना के कारण 58 वर्ष की उम्र में दिल्ली के एम्स में हो गया.

इसकी जानकारी उनकी बहन संध्या जैन ने ट्विटर के माध्यम से दी. उन्होंने बताया कि एम्स के डॉक्टरों की टीम ने लगातार सुनील जैन को बचाने की पूरी कोशिश की, लेकिन कामयाब नहीं हो पाए.

आखिर तक समाज की चिंता

सुनील जैन एम्स इमरजेंसी में 3 मई को भर्ती हुए थे. उनका ऑक्सीजन लेवल जब 80 के आसपास आ गया तब भी महामारी के बीच जूझ रहे डॉक्टरों के प्रति उनकी सहानुभूति बनी रही. उन्होंने 3 मई को ट्वीट करके कहा था "डॉक्टरों के पास भी कोई जवाब नहीं है. मैं अपने डॉक्टर से 3 दिनों से बात नहीं कर पा रहा हूं क्योंकि वह एक संकट से दूसरे संकट तक दौड़ लगा रहे हैं".

इससे पहले कई दिनों तक उन्होंने घर पर ही प्रोनिंग करके अपने घटते ऑक्सीजन लेवल को सुधारने का प्रयास किया उनका विचार था कि अगर वह अस्पताल में भर्ती होते हैं तो किसी और ज्यादा जरूरतमंद इंसान को शायद बेड ना मिले.

कोरोना और सरकार पर आखिरी आर्टिकल

कोरोना संक्रमित होने के बाद बीमारी के दौरान ही सुनील जैन ने अपना आखिरी आर्टिकल भी कोरोना मैनेजमेंट पर लिखा था. फाइनेंशियल एक्सप्रेस के इस आर्टिकल का टाइटल था- "Covid is the enemy, not the government" यानी- दुश्मन कोरोना है, सरकार नहीं.

अपने इस आर्टिकल में उन्होंने बताया था कि, उनका टेंपरेचर पिछले एक हफ्ते से 102 डिग्री तक पहुंच रहा है और ऑक्सीजन लेवल 88 पर है. उन्होंने इस आर्टिकल में अपने वॉट्सऐप ग्रुप पर आने वाले कुछ मैसेज का जिक्र कर बताया था कि, तमाम लोग बता रहे हैं कि मोदी ने ये सब किया है. उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ रहा है कि लोग मर रहे हैं. उन्होंने खुद को ऊंचा दिखाने के लिए कुंभ का आयोजन कराया. वैक्सीन मैनेजमेंट को लेकर भी मोदी सरकार पर सवाल उठ रहे हैं.

जैन ने अपने आर्टिकल में लिखा था कि, भले ही मोदी सरकार ने कई गलत कदम उठाए, लेकिन उन्हें सही करने की कोशिश भी की जा रही है और कौन सी सरकार ऐसी रही, जिसने कोरोनाकाल में गलतियां नहीं की हैं? उन्होंने इस आर्टिकल में लिखा कि, ‘’इस वक्त अगर मनमोहन सिंह की भी सरकार होती तो वो भी शायद बहुत कुछ नहीं कर पाती.’’

आह! जिस सिस्टम पर उन्हें आखिरी समय तक भरोसा था उसने उन्हें हरा दिया.

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आजाद ख्यालों के पत्रकार, हर विषय पर रखते थे स्पष्ट राय

उन्होंने सरकार की आलोचना में भी संकोच नहीं किया. भाजपा के बंगाल फतह में नाकाम होने के बाद उन्होंने अमित शाह को टैग करते हुए ट्वीट किया 'आशा है अब आप CAA-NRC का जहर छोड़ देंगे तथा और ज्यादा मंदिरों पर फिर से दावा करने के बकवास पर रोक लगाएंगे. जख्म वर्तमान और भविष्य को संवारने से भरता है, विरासत की लड़ाई लड़ने से नहीं".

उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा ऑक्सीजन की कमी पर लोगों को पीपल के नीचे बैठने को कहने की खबर पर उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को टैग करते हुए लिखा "मालूम है कि इस स्थिति को कोई संभाल नहीं सकता, लेकिन आप बेसिक ह्यूमैनिटी तो दिखा ही सकते हैं"

एक अन्य ट्वीट में उन्होंने स्वास्थ्य मंत्री डॉ.हर्षवर्धन की पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के सुझाव पर तल्ख टिप्पणी के बाद लिखा कि "डॉ. हर्षवर्धन के बारे में सबसे सभ्य तरीके से यही कहा जा सकता है कि जब दो बड़े बात कर रहे हो तो बच्चों को चुप रहना चाहिए. शायद उनको अच्छा ना लगे पर इसमें कोई दो राय नहीं कि नरेंद्र मोदी से बड़ी गड़बड़ी हुई है. उसको स्वीकार कीजिए और ठीक कीजिए.

प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट करके सुनील जैन के निधन पर शोक जताया. प्रधानमंत्री मोदी ने लिखा कि सुनील जैन आप जल्दी चले गए. मैं आपके कॉलम पढ़ने और तमाम मुद्दों को लेकर आपके विचारों को मिस करूंगा. आप अपने पीछे प्रेरक छाप छोड़ गए हैं. आप के दुखद निधन से पत्रकारिता आज कमजोर हुई है. परिवार और दोस्तों के प्रति मेरी संवेदना.

तीन दशक से ज्यादा पत्रकारिता जगत में दी सेवा

1986 में दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से मास्टर्स करने के बाद सुनील जैन जी ने 4 साल तक कंसलटेंट के रूप में मार्केट सर्वे और टेक्नो-इकॉनोमिक फीजिबिलिटी रिपोर्ट बनाने को कैरियर के रूप में चुना .उसके बाद वें लगभग 1 साल तक फिक्की से जुड़े रहे, जहां वे एक्सपोर्ट पॉलिसी डेस्क इंचार्ज थे .

फिर शुरू हुआ उनके पत्रकारिता का सफर जहां उन्होंने तीन दशक से भी ज्यादा समय गुजारा. 1991 में इंडिया टुडे मैगजीन में रिपोर्टर के रूप में पत्रकारिता के कैरियर की शुरुआत की. 1 साल तक वह उस मैगजीन के बिजनेस एडिटर भी थें. उसके बाद उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस में बिजनेस और इकोनामी कवरेज को लीड किया. 6 साल तक इंडियन एक्सप्रेस में काम करने के बाद उन्होंने बिजनेस स्टैंडर्ड में 8 साल तक काम किया .उसके बाद वें 'द फाइनेंसियल एक्सप्रेस' के साथ अंत तक जुड़े रहे.यहां वे मैनेजिंग डायरेक्टर थें.

इसके अलावा उन्होंने कई किताबें भी लिखी जिनमें द ग्रेट इंडियन मार्केट, द ग्रेट इंडियन मिडल क्लास, कास्ट इन डिफरेंट मोल्ड, रेगुलेटर रूलेट, सर्विसिंग इंडियन जीडीपी ग्रोथ और इज इंडियन रेगुलेटरी सिस्टम ब्रस्ट शामिल थे.

सुनील जैन ने क्विंट हिंदी के साथ दिसंबर 2020 में आखिरी इंटरव्यू किया था. जहां उन्होंने टेलीकॉम सेक्टर एजीआर बकाए को लेकर विस्तार से कोर्ट और सरकार के कदम को समझाया था. इस पूरे इंटरव्यू को आप यहां देख सकते हैं.

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