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भारत में किसी भी कोरोना वायरस वैक्सीन कैंडिडेट को जल्द ही इस्तेमाल की इजाजत मिल सकती है. सरकार भी वैक्सीनेशन प्रक्रिया के लिए गाइडलाइन तैयार कर रही है. हालांकि, वैक्सीन बनाने वाली कंपनियों को इस समय मुकदमों की चिंता सता रही है. दुनिया के सबसे बड़े वैक्सीन मैन्युफेक्चरर सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) के सीईओ अदार पूनावाला ने इस चिंता को जाहिर किया और कहा कि सरकार को इससे सुरक्षित रखना सुनिश्चित करना चाहिए.
पूनावाला ने सरकार से कहा है कि वो वैक्सीन मैन्युफेक्चरर्स को 'ओछे मुकदमों' से सुरक्षित करे. 17 दिसंबर को Carnegie India के ग्लोबल टेक्नोलॉजी समिट को संबोधित करते हुए अदार पूनावाला ने कहा कि ऐसे मुकदमों से लोगों में वैक्सीन लेने को लेकर डर फैलेगा.
पूनावाला का कहना है कि ऐसे मुकदमे मैन्युफेक्चरर्स का ध्यान भटका सकते हैं या उन्हें दिवालिया भी कर सकते हैं.
अदार पूनावाला के इस बयान से पहले सीरम इंस्टीट्यूट ऐसे ही एक केस में उलझ चुका है. चेन्नई के एक ट्रायल पार्टिसिपेंट ने ट्रायल वैक्सीन से हुए कथित नुकसान के लिए 5 करोड़ रुपये मांगे थे.
दुनियाभर की कई सरकारें COVID वैक्सीन मैन्युफेक्चरर्स के लिए इस तरह की सुरक्षा सुनिश्चित करने के बारे में विचार कर रही हैं. जून में AstraZeneca के अधिकारियों ने कहा था कि उन्होंने जितने भी देशों के साथ डील की है, उन्हें वहां प्रोडक्ट लायबिलिटी क्लेम्स से सुरक्षा दी गई है.
अमेरिका में फाइजर और मॉडर्ना की वैक्सीनों के लिए पब्लिक रेडिनेस एंड इमरजेंसी प्रिपेयर्डनेस एक्ट के तहत ऐसी सुरक्षा दी गई है.
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