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भारत में पैसे देकर सेक्स करना अपराध नहीं है. वेश्यागमन करने वाले पुरुष के लिए किसी सजा का प्रावधान नहीं है. बस, उसे ये सावधानी बरतनी होगी कि जहां वह पैसे देकर सेक्स कर रहा है, वह सार्वजनिक स्थान न हो और वो जगह स्कूल या धार्मिक स्थल के 200 मीटर के दायरे में न हो.
लेकिन वेश्यावृत्ति करने वाली औरतों को लेकर देश का कानून उतना उदार नहीं है.
भारत में वेश्यावृत्ति रोकने के लिए कानून है. इम्मोरल ट्रैफिक प्रिवेंशन एक्ट 1986 के तहत वेश्यावृत्ति को नियमित किया जाता है. ये कानून मुख्य रूप से तीन उद्देश्य पूरा करते हैं. एक, जबरन वेश्यावृत्ति कराने का निषेध, दो, वेश्यालयों पर नियंत्रण और तीसरा औरतों पर पाबंदी लगाना ताकि वे ग्राहकों को लुभाने के लिए खासकर सार्वजनिक स्थानों का इस्तेमाल न करें.
ये कानून पूरी तरह औरतों के खिलाफ झुके हुए हैं. खासकर इस कानून का अनुच्छेद आठ, जिसमें दोषी सिर्फ औरतें ही हो सकती हैं. किसी सार्वजनिक स्थान पर कोई औरत सेक्स बेचने के लिए खड़ी है, तो जाहिर है कि उस जगह पर एक आदमी सेक्स खरीदने के लिए भी मौजूद है, तभी सौदा हो रहा है. लेकिन इस सौदे में, कानून की नजर में, सिर्फ औरत दोषी है और मर्द बेकसूर.
वेश्यावृत्ति को जाने क्यों कुछ लोग दुनिया का सबसे पुराना पेशा कहते हैं. ये बात पहली बार जरूर किसी मर्द ने कही होगी और उसके बाद से दुनिया भर के मर्द और देखादेखी कुछ औरतें इसे दोहराती हैं. मानव सभ्यता के विकास क्रम में वेश्यावृत्ति से पहले अनाज से लेकर कपड़ा और कृषि उपकरण से लेकर मानव श्रम तक बहुत कुछ बेचा-खरीदा गया होगा. पैसे के लिए सेक्स खरीदने और बेचने की बात तो बहुत बाद में आई होगी, जब धन संचय का चलन बढ़ चुका होगा.
वेश्यावृत्ति को नियंत्रित या नियमित करने की जरूरत ज्यादातर देश महसूस करते हैं. हालांकि स्वीट्जरलैंड जैसे देशों में वेश्यावृत्ति के खिलाफ कोई कानून नहीं है. वहां न स्त्री को सजा होती है, न पुरुष को और न ही वेश्यालय चलाने वालों को या दलालों को. लेकिन ये न भूलें कि स्वीट्जरलैंड औरत-मर्द समानता की दृष्टि से दुनिया के श्रेष्ठ देशों में नहीं है. वहां महिलाओं को वोट देने का अधिकार 1971 में जाकर मिला.
दुनिया में वेश्यावृत्ति को लेकर नए तरह के कानून की चर्चा है. इसे स्वीडन मॉडल कहा जा रहा है. वहां के कानून के मुताबिक, सेक्स बेचनेवाली निर्दोष है, जबकि सेक्स खरीदने वाला दोषी है. इस कानून का दार्शनिक आधार यह है कि कानून को पीड़ित के पक्ष में खड़ा होना चाहिए और वेश्यावृति करने वाली महिलाएं पीड़ित हैं जबकि सेक्स खरीदने वाले पुरुष दमनकारी. इसलिए कानून दमन करने वाले को दंडित कर रहा है. इस कानून के बनने के बाद से स्वीडन की सड़कों पर सेक्स बेचने की घटनाओं में 50 फीसदी से भी ज्यादा की कमी आई है.
स्वीडन के पड़ोसी देश नार्वे और आइसलैंड में भी ऐसा ही कानून बन चुका है. यूरोपियन पार्लियामेंट ने 2014 में एक प्रस्ताव पारित कर (जिसे मानने के लिए सदस्य देश बाध्य नहीं हैं) कहा है-
अमेरिका में भी ये बहस तेज हो गई है कि वेश्यावृत्ति को अपराध के दायरे से बाहर किया जाए. इसी महीने न्यूयॉर्क स्टेट सीनेट के लिए चुनी गई जूलिया सालाजार ने कहा है कि सेक्स वर्कर्स को अपराधी की तरह देखने की जगह गरिमा के साथ देखा जाना चाहिए और उन्हें संरक्षण प्राप्त होना चाहिए. अमेरिका में वेश्यावृत्ति अपराध है लेकिन उसके तहत गिरफ्तारियां लगातार घट रही हैं. अमेरिकी जस्टिस डिपार्टमेंट के आंकड़ों के मुताबिक वेश्यावृत्ति के लिए गिरफ्तार लोगों की संख्या 1994 में 94,000 थी, जो 2016 में घटकर 38,000 रह गई.
पूरी दुनिया वेश्यावृत्ति को लेकर उदार कानूनों की दिशा में बढ़ रही है. भारत में इसकी पहल 2006 में जिस संशोधन विधेयक के जरिए हुई थी, उसे पारित करने की जरूरत है. यह वेश्यावृत्ति कानूनों को आधुनिक बनाने की दिशा में पहला, लेकिन जरूरी कदम साबित होगा. हमें ये बात समझ लेनी चाहिए कि वेश्यावृत्ति कर रही औरतें पीड़ित हैं, अपराधी नहीं.
लेकिन इससे पहले भारत में सरकारों को इस बात की गारंटी करनी चाहिए कि वेश्यावृत्ति में फंसी बच्चियों को वेश्यालयों से मुक्त करे और उनके ग्राहकों को सीधे तौर पर बलात्कार का अभियुक्त मानकर उन पर मुकदमा चलाए. इसके लिए कोई नया कानून बनाने की जरूरत नहीं है. भारत सरकार के महिला और बाल विकास मंत्रालय और संयुक्त राष्ट्र की संस्था यूनाइटेड ऑफिस ऑन ड्रग्स एंड क्राइम की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 30 लाख औरतें वेश्यावृत्ति में हैं और उनमें से 40 फीसदी यानी 12 लाख बच्चियां हैं. भारतीय दंड संहिता की धारा 375 बच्चियों के साथ सेक्स को बलात्कार मानती है. इसमें बच्ची की सहमति या असहमति का कोई मतलब नहीं है.
क्या कानून अपना काम करेगा या वेश्यालयों के बाहर ठिठक कर खड़ा हो जाएगा?
(लेखिका भारतीय सूचना सेवा में अधिकारी हैं. इस आर्टिकल में छपे विचार उनके अपने हैं. इसमें क्विंट की सहमति होना जरूरी नहीं है.)
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