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"हम भारत के लोग, भारत को एक सम्पूर्ण प्रभुत्व सम्पन्न, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए.." संविधान की प्रस्तावना के इन शब्दों के साथ दिल्ली के शाहीन बाग में 71वें गणतंत्र दिवस का आगाज हुआ.
दिल्ली के शाहीन बाग में नागरिकता कानून और एनआरसी का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों ने 26 जनवरी को रात के 12 बजे संविधान की प्रस्तावना पढ़ी. इस मौके पर हजारों लोग मौजूद थे. बता दें कि पिछले 41 दिनों से दिल्ली के शाहीन बाग में हजारों महिलाएं नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी के विरोध में प्रदर्शन कर रही हैं.
शाहीन बाग में प्रदर्शनकारियों ने क्विंट से बातचीत में बताया कि क्यों उन्होंने संविधान की प्रस्तावना को पढ़कर गणतंत्र दिवस की शुरुआत की. एक एनजीओ में काम करने वाले इबाहत ने कहा कि भारत के लोग धर्म के आधार पर नहीं बंट सकते हैं. भारत की सरकार को हम यहां से मैसेज देना चाहते हैं कि संविधान हम भारत के लोगों पर है.
उन्होंने कहा कि ये एक लंबी लड़ाई है और ये चलती रहेगी. गणतंत्र दिवस को हम भारत के लोग से संविधान की प्रस्तावना को पढ़ा गया. यही उसकी मूल भावना है.
धरने पर बैठी महिलाओं ने बताया कि 26 जनवरी की सुबह शाहीन बाग में 80 फीट ऊंचा और 45 मीटर लंबा तिरंगा फहराकर गणतंत्र दिवस मनाया जाएगा. शाहीन बाग की मशहूर दादियां तिरंगे को फहराएंगी.
बता दें कि 26 नवंबर 1949 को भारत का संविधान पारित हुआ और 26 जनवरी 1950 से प्रभावी हुआ. बाबासाहेब डॉ. भीम राव अंबेडकर को भारत का संविधान निर्माता कहा जाता है. संविधान की शुरुआत में एक प्रस्तावना लिखी है, जो संविधान की मूल भावना को सामने रखती है.
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