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अयोध्या में राम मंदिर के शिलान्यास की तैयारियां जोरों पर हैं. आने वाली 5 अगस्त को मंदिर का भूमि पूजन और शिलान्यास होगा, जिसमें पीएम मोदी भी हिस्सा लेंगे. लेकिन शिलान्यास से ठीक पहले शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने एक बयान दिया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि ये मंदिर की आधारशिला रखने का सही वक्त नहीं है. शंकराचार्य ने इसे अशुभ घड़ी बताया है.
शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने राम मंदिर शिलान्यास की तारीख 5 अगस्त के 'मुहूर्त' पर सवाल उठाते हुए कहा कि, आमतौर पर हिंदू कैलेंडर के 'उत्तम काल' खंड में अच्छा काम किया जाता है. उन्होंने कहा,
उन्होंने कहा कि विष्णु धर्म शास्त्र के अनुसार, भाद्रपद माह में शुरूआत करना विनाश का कारण बनता है. 'दैवाग्ना बल्लभ ग्रन्थ' कहता है कि भाद्रपद में बनाया गया घर गरीबी लाता है. शंकराचार्य ने कहा कि वास्तु राजाबल्लभ के अनुसार, भाद्रपद की शुरुआत शून्य फल देती है. उन्होंने आगे कहा, "अभिजीत मुहूर्त" के कारण इसे शुभ मानना भी सही नहीं है. जब तक सूर्य कर्क राशि में स्थित है, शिलान्यास श्रावण के महीने में ही किया जा सकता है, न कि भाद्रपद माह में."
वहीं विद्वानों के अनुसार "चातुर्मास" में शुभ समय का कोई संयोग नहीं है. सोशल मीडिया पर भी कई ज्योतिषियों ने विभिन्न पंचांगों का हवाला देते हुए इस पर आपत्ति जताई है. उधर काशी विद्या परिषद के प्रोफेसर राम नारायण द्विवेदी ने कहा है कि हरिशयनी एकादशी से देवोत्थान एकादशी के बीच विवाह और शुभ कार्य करना मना है, लेकिन धार्मिक कार्यों के लिए पूजा मना नहीं है. श्री रामचरितमानस का उदाहरण देते हुए द्विवेदी ने कहा,
बता दें कि राम मंदिर ट्रस्ट की 18 जुलाई को हुई बैठक में मंदिर निर्माण की दो तारीखें तय की गईं. इसके बाद पीएमओ को 3 अगस्त और 5 अगस्त की ये तारीखें भेजी गई थीं. जिसके बाद पीएमओ ने 5 अगस्त की तारीख पर मुहर लगाई. वहीं ये भी बताया गया कि पीएम मोदी शिलान्यास में हिस्सा लेंगे.
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