क्रिकेटर शिखर धवन और उनकी पत्नी आयाशा मुखर्जी अब कानूनी तौर पर अलग हो चुके हैं यानी कोर्ट ने उन्हें तलाक की मंजूरी दे दी है. कोर्ट ने शिखर धवन के आरोप की पुष्टि की, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि पत्नी उनको मानसिक रूप से प्रताड़ित करती हैं. इसी आधार पर कोर्ट ने उनके तलाक को मंजूरी दे दी. शिखर ने 2009 में सगाई और 2012 में शादी की थी.
पटियाला हाउस कोर्ट के न्यायाधीश हरीश कुमार ने तलाक याचिका में धवन की ओर से किए गए सभी दावों को स्वीकार कर लिया, क्योंकि उनकी पत्नी ने आरोपों का विरोध नहीं किया या अपना बचाव नहीं किया.
बच्चे की स्थायी हिरासत पर कोई आदेश जारी नहीं करते हुए, अदालत ने धवन को भारत और ऑस्ट्रेलिया दोनों में अपने बेटे के साथ समय बिताने का अधिकार दिया और उनके बीच वीडियो कॉल की अनुमति दी.
इसके अलावा, अदालत ने मुखर्जी को शैक्षणिक कैलेंडर के भीतर स्कूल की छुट्टियों की कम से कम आधी अवधि के दौरान बच्चे की भारत यात्रा की सुविधा प्रदान करने का आदेश दिया, जिसमें धवन और उसके परिवार के साथ रात भर रहना भी शामिल है.
एक प्रसिद्ध अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर के रूप में धवन के कद को पहचानते हुए, अदालत ने उनसे अपने बेटे के साथ मुलाकात या हिरासत के मामलों, विशेष रूप से ऑस्ट्रेलिया में अपने समकक्ष से जुड़े मामलों को हल करने में सहायता के लिए केंद्र सरकार से संपर्क करने का आग्रह किया.
इससे पहले, अदालतों ने माना था कि अकेले मां के पास बच्चे पर विशेष अधिकार नहीं होता. दोनों ने तलाक और बच्चे की कस्टडी को लेकर भारत और ऑस्ट्रेलिया दोनों में कानूनी कार्यवाही शुरू की थी.
इंडिया टुडे को दिए एक इंटरव्यू में शिखर धवन ने अपनी पत्नी से खराब संबंधों पर कहा था "मैं असफल हुआ क्योंकि अंतिम निर्णय व्यक्ति का अपना होता है. मैं दूसरों पर उंगली नहीं उठाता. मैं असफल हुआ क्योंकि मुझे उस फी्ल्ड के बारे में जानकारी नहीं थी. मैं आज क्रिकेट के बारे में जो बातें करता हूं, मुझे 20 साल पहले इसके बारे में जानकारी नहीं थी. यह अनुभव के साथ आता है.
धवन ने आगे कहा था "कल, अगर मैं दोबारा शादी करना चाहूंगा, तो मैं उस फील्ड में अधिक समझदार हो जाउंगा. मुझे पता होगा कि मुझे किस तरह की लड़की चाहिए; जिसके साथ मैं अपना जीवन बिता सकूं."