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शिवसेना बनाम शिवसेना (Shiv Sena Vs Shiv Sena) के एक मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आज 15 मार्च को कुछ तीखी टिप्पणियां की है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक राज्यपाल को सावधानी से शक्ति का प्रयोग करना चाहिए और इस बात से अवगत होना चाहिए कि विश्वास मत बुलाने से सरकार गिर सकती है.
शिवसेना बनाम शिवसेना मामले की सुनवाई करते हुए, CJI डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस एमआर शाह, जस्टिस कृष्ण मुरारी, जस्टिस हेमा कोहली और जस्टिस पीएस नरसिम्हा डब्ल्यू की बेंच ने पिछले साल उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली सरकार को बेदखल करने में राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की भूमिका पर कड़ी टिप्पणी की है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "राज्यपाल को सचेत रहना चाहिए कि विश्वास मत बुलाने से सरकार गिर सकती है." SC ने कहा कि राज्यपाल को किसी भी ऐसे क्षेत्र में प्रवेश नहीं करना चाहिए, जो सरकार के पतन का कारण बनता है. CJI डी वाई चंद्रचूड़ ने पूछा कि
महाराष्ट्र के राज्यपाल की ओर से पेश भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से CJI डी वाई चंद्रचूड़ ने पूछा कि "मिस्टर मेहता, क्या होगा अगर लोग एक सरकार को छोड़ना शुरू कर दें. राज्यपाल सहयोगी दलों से कह रहे हैं- विश्वास मत हासिल करो. इसलिए आप इस बात को महत्व देते हैं. यह हमारे लोकतंत्र में बहुत दुखद दृश्य है.
तब एसजी मेहता ने कहा कि किहोतो होलोहन बनाम ज़चिल्हू और अन्य के फैसले के अनुसार, एक पार्टी का नेता एक व्यक्ति नहीं था, लेकिन वह एक विशेष विचारधारा का प्रतिनिधित्व करता था. इसलिए, जब कोई पार्टी अपने चुनाव पूर्व गठबंधन से टूट जाती है और अपने वैचारिक प्रतिद्वंद्वियों के साथ हाथ मिलाकर सरकार बनाती है, तो पार्टी के भीतर असंतोष की संभावनाएं होती हैं.
इसपर CJI ने SG मेहता से सवाल किया कि गठबंधन के तीन लंबे वर्षों के बाद वैचारिक मतभेद क्यों पैदा हुए.
उद्धव ठाकरे गुट के नेता और महाराष्ट्र के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री दीपक सावंत एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले समूह में शामिल हो गए. महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे ने कहा कि, "मैं डॉ. दीपक सावंत का हमारी शिवसेना पार्टी में स्वागत करता हूं. उनके अनुभव से हमें लाभ होगा"
बता दें कि महाराष्ट्र में तीन साल पुराने उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस गठबंधन ने एकनाथ शिंदे द्वारा शिवसेना में तख्तापलट के बाद सत्ता खो दी थी. शिंदे गुट ने जून में बीजेपी के साथ नई सरकार बनाई थी. तब से ठाकरे और एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले गुट "असली शिवसेना" के रूप में मान्यता पाने के लिए लड़ रहे हैं.
पिछले महीने चुनाव आयोग ने एकनाथ शिंदे गुट को शिवसेना का नाम और चुनाव चिन्ह सौंप दिया था.
उद्धव ठाकरे ने अपने पिता बाल ठाकरे द्वारा स्थापित पार्टी का नियंत्रण खोने के बावजूद, सुप्रीम कोर्ट में शिंदे गुट से इसकी कानूनी लड़ाई जारी रखी है. सुप्रीम कोर्ट शिंदे सरकार की बुनियाद पर सवाल उठाने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है, जिसमें तर्क दिया गया है कि श्री शिंदे और 15 अन्य विद्रोहियों को विश्वास मत के समय अयोग्य घोषित कर दिया गया था."
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