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केरल के पत्रकार सिद्दीकी कप्पन (Siddique Kappan) को पीएमएलए (PMLA) केस में इलाहाबाद हाई कोर्ट (Allahabad High Court) से जमानत मिल गई है. 2 साल से जेल में बंद कप्पन की रिहाई का रास्ता साफ हो गया है. सिद्दीकी कप्पन को हाल ही में यूएपीए (UAPA) मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से जमानत मिली थी. लेकिन अभी भी उनकी रिहाई को लेकर एक पेंच फंसा है.
सिद्दीकी कप्पन को UAPA और PMLA केस में जमानत मिलने के बाद भी उनकी रिहाई में देरी होती दिख रहा है. द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, कप्पन को यूएपीए मामले में सितंबर में जमानत मिली थी. लेकिन तीन महीने से ज्यादा बीतने के बाद भी जमानत का सत्यापन नहीं हुआ है.
द इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी रिपोर्ट में कप्पन की पत्नी रेहाना रेहाना के हवाले से बताया कि, पहले जमानत सत्यापन के लिए कोई व्यक्ति नहीं मिल रहा था. क्योंकि इसके लिए उत्तर प्रदेश के ही शख्स की जरूरत थी. बाद में दो व्यक्ति तैयार हुए, जिनमें से एक लखनऊ विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति रूप रेखा वर्मा थीं.
ताजा मामले को लेकर कप्पन की पत्नी ने कहा कि, देखना होगा कि कोर्ट ने जमानत के लिए क्या शर्तें रखीं हैं. हम उम्मीद करते हैं कि अब और मुश्किलें नहीं होंगी.
उन्होंने आगे बताया कि, “सत्यापन प्रक्रिया में आमतौर पर एक सप्ताह से अधिक समय नहीं लगता है. सुप्रीम कोर्ट का आदेश हमें 9 सितंबर को मिला था. 10 दिन के भीतर हमने जमानत दे दी, लेकिन तीन महीने बाद भी सत्यापन पूरा नहीं हुआ है. अब देखना होगा कि आज के आदेश में जमानत की क्या शर्तें लगाई जाती हैं."
द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, इलाहाबाद हाई कोर्ट से जमानत मिलने पर कप्पन की पत्नी रेहाना ने कहा, “मुझे जमानत की उम्मीद नहीं थी क्योंकि निचली अदालत ने उनके (कप्पन) आवेदन को खारिज कर दिया था. मुझे और मेरे बच्चों के ऐसे जीते हुए दो साल से ज्यादा हो गए हैं. जब वह मेरे सामने खड़ा होगा तभी मुझे विश्वास हो पाएगा कि वह रिहा हो गया है."
सिद्दीकी कप्पन (Siddique Kappan) पिछले दो साल से जेल में बंद हैं. अक्टूबर 2020 में यूपी पुलिस ने कप्पन और अन्य आरोपियों को तब गिरफ्तार किया था, जब वे हाथरस रेप मामले की कवरेज के लिए जा रहे थे.
शुरुआत में उन्हें शांति भंग करने की आशंका के तहत गिरफ्तार किया गया था, बाद में उन पर यूएपीए (UAPA) के तहत मामला दर्ज किया गया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि वह और उनके साथी हाथरस गैंगरेप-हत्या के मद्देनजर सांप्रदायिक दंगे भड़काने और सामाजिक सद्भाव को बाधित करने की कोशिश कर रहे थे.
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