advertisement
दिल्ली की मंडोली जेल भेजे गए कांग्रेस के पूर्व नेता सज्जन कुमार के वार्ड से एहतियात के तौर पर सिख कैदियों को दूर रखा जायेगा. दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट में सोमवार को सरेंडर करने के बाद सज्जन कुमार को मंडोली जेल ले जाया गया था.
1984 के सिख विरोधी दंगों से जुड़े एक मामले में सज्जन कुमार को आजीवन कारावास की सजा सुनायी गई है.
सूत्रों ने बताया कि सज्जन कुमार को जेल नम्बर 14 में रखा जाएगा. दिल्ली के सरकारी अस्पताल में चिकित्सकीय परीक्षण के बाद पुलिस उसे लेकर जेल लेकर पहुंची. उन्होंने बताया कि जेल के डॉक्टर ने भी सज्जन कुमार की मेडिकल जांच की. उनकी उम्र के कारण उनकी विस्तृत चिकित्सकीय जांच हुई.
उन्होंने डॉक्टर को बताया कि उन्हें दमा की दिक्कत है और वह शरीर में दर्द से परेशान हैं. कुमार अपने साथ कई दवाएं भी लाए हैं.
सूत्रों ने कहा कि मेडिकल जांच के बाद उन्हें वार्ड संख्या एक में ले जाया गया और इस वार्ड के पास के सिख कैदियों को ऐहतियाती उपाय के तौर पर अन्य वार्डों में ट्रांसफर कर दिया गया. सूत्रों ने बताया कि जेल संख्या 14 में सुरक्षा बढ़ा दी गयी है और जेल कर्मियों को यह सुनिश्चित करने के लिये कहा गया है कि जेल में सजा काट रहे दो-तीन सिख कैदियों को एहतियातन कुमार से दूर रखा जाये.
सूत्रों ने कहा कि जेल में पहुंचने के पहले दिन, कुमार ने खाना नहीं खाया और उनके साथ कोई विशेष व्यवहार नहीं किया जाएगा. अदालत के निर्देश के बाद उसे कैदियों को ले जाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली एक अलग बस में जेल परिसर लाया गया. बस की सुरक्षा में दो वाहन चल रहे थे.
कुमार (73) ने मेट्रोपालिटन मजिस्ट्रेट अदिति गर्ग के समक्ष आत्मसमर्पण किया, जिन्होंने निर्देश दिया कि उसे उत्तर-पूर्वी दिल्ली की मंडोली जेल में रखा जाए.
दिल्ली हाई कोर्ट ने सज्जन कुमार के सरेंडर करने के लिए 31 दिसंबर की तारीख तय की थी. कोर्ट ने 21 दिसंबर को सरेंडर के लिये समय-सीमा एक महीने के लिए बढ़ाने के अनुरोध वाली सज्जन कुमार की अर्जी खारिज कर दी थी.
हाई कोर्ट ने 17 दिसंबर को कुमार को दोषी ठहराते हुए ‘आजीवन कारावास' की सजा सुनाई थी. सज्जन कुमार ने अपनी दोषसिद्धि के बाद कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया था. कुमार को साउथ वेस्ट दिल्ली की पालम कॉलोनी के राज नगर पार्ट-1 क्षेत्र में एक-दो नवंबर 1984 को पांच सिखों की हत्या और राज नगर पार्ट-दो में एक गुरुद्वारा जलाने के मामले में दोषी ठहराते हुए सजा सुनाई गई थी. ये दंगे 31 अक्टूबर 1984 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके दो सिख अंगरक्षकों द्वारा हत्या किए जाने के बाद हुए थे.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)