advertisement
छात्रा से बलात्कार के आरोप में जेल पहुंचे 73 साल के रंगीन-मिजाज पूर्व केंद्रीय गृह राज्यमंत्री चिन्मयानंद उर्फ कृष्णपाल सिंह पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा '376-सी' यूं ही नहीं लगा दी गई है. आईपीसी की धारा 376 और 376-सी में से कौन-सी धारा अदालत के कटघरे में खड़े आरोपी (स्वामी चिन्मयानंद) को 'दोषी' साबित करा पाएगी?
इस सवाल के जबाब के लिए एसआईटी ने कई दिनों तक तमाम कानून विशेषज्ञों समेत मौजूदा और पूर्व पुलिस अधिकारियों के साथ माथा-पच्ची की थी.
आईपीसी की धारा 376 दुष्कर्म (रेप) के मामलों में लगाया जाता है और पीड़िता ने बार-बार अपने साथ दुष्कर्म करने का आरोप स्वामी पर लगाया है. फिर सवाल उठता है कि क्यों ये 376 के बजाए 376 सी लगाई गई?
संसद पर हमले के दोषी अफजल गुरु जैसे खूंखार आतंकवादी को फांसी की सजा सुना चुके दिल्ली हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज, जस्टिस एसएन ढींगरा ने आईएएनएस से कहा,
उन्होंने इस पर आगे कहा कि ये आने वाले वक्त में पीड़िता के पक्ष में ही जाएगा और जांच एजेसिंयों को फायदा मिलेगा.
जस्टिस ढींगरा ने आगे कहा कि आरोपी ने पीड़ित परिवार की आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखकर उसका फायदा उठाने की कोशिश की लेकिन यही चालाकी उस पर भारी पड़ सकती है.
जस्टिस ढींगरा ने कहा, "आरोपी के पास ताकत है, लिहाजा उसने पीड़िता को मानसिक रूप से दबाव में ले लिया. उस हद तक कि जहां से यौन-उत्पीड़न, ब्लैकमेलिंग और जबरन उगाही जैसे गैर-कानूनी कामों के बेजा रास्ते खुद-ब-खुद बनते चले गए. इन्हीं तमाम हालातों के मद्देनजर एसआईटी ने आरोपी पर सीधे-सीधे दुष्कर्म (रेप) की धारा 376 न लगाकर, 376-सी लगाई है."
जस्टिस ढींगरा ने आगे बताया,
जस्टिस ढींगरा ने कहा कि एसआईटी अब 23 सितंबर को संबंधित जांच की प्रोग्रेस-रिपोर्ट, जांच की मॉनिटरिंग कर रही इलाहाबाद हाईकोर्ट की दो सदस्यीय स्पेशल बेंच के सामने बेहद सधे हुए तरीके से रख सकेगी.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)