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सामाजिक कार्यकर्ता और अपने भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन को लेकर पहचान बनाने वाले अन्ना हजारे अब किसानों को लेकर अनशन करने जा रहे हैं. अन्ना ने बताया है कि वो 30 जनवरी से महाराष्ट्र के रालेगणसिद्धी में अनशन पर बैठेंगे. उन्होंने बीजेपी की केंद्र सरकार पर आरोप लगाया है कि, कई बार किसानों की मांगों को लेकर चिट्ठियां लिखी गईं, लेकिन सरकार की तरफ से कोई जवाब नहीं आया. इसीलिए अब अनशन शुरू किया जा रहा है.
अन्ना हजार ने इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी चिट्ठी लिखी थी, जिसमें उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा था कि अगर किसानों को लेकर की गई मांगे पूरी नहीं की जाती हैं तो वो दिल्ली में अनशन पर बैठेंगे. लेकिन इसका कोई जवाब नहीं मिला. जिसके बाद अब अन्ना हजारे ने नई चिट्ठी लिखकर देशभर के लोगों को बताया है कि वो अनशन शुरू कर रहे हैं.
हालांकि अन्ना ने उनके अनशन स्थल पर लोगों को जमा होने से इनकार किया है. उन्होंने कहा है कि जो लोग भी इस अनशन को समर्थन देना चाहते हैं, वो अपने जिले या ब्लॉक स्तर पर अनशन पर बैठ सकते हैं. अन्ना ने अपनी चिट्ठी में कहा है,
अन्ना ने आगे कहा कि, उन्होंने 23 मार्च 2018 को दिल्ली के रामलीला मैदान में अनशन शुरू किया था, जिसके बाद 29 मार्च को पीएम ऑफिस से लिखित आश्वासन दिया गया. जिसमें स्वामीनाथन आयोग की शिफारिशें, कृषिमूल्य आयोग को संवैधानिक दर्जा और स्वायत्तता देना और कृषि उपज को लागत मूल्य पर 50 प्रतिशत एमएसपी बढ़ाकर देने को लेकर एक कमेटी गठित करने की बात कही गई थी. लेकिन सरकार ने इस आश्वासन का पालन नहीं किया.
अन्ना ने देश के किसानों की हालत को लेकर भी सरकार को जमकर फटकार लगाई. उन्होंने कहा कि देश का किसान आज भी आत्महत्या कर रहा है. क्योंकि उनकी उपज को सही दाम नहीं मिल पाता है. केंद्र सरकार ने कहा कि स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें लागू कर दी हैं, लेकिन सच तो ये है कि उन पर अमल नहीं हो रहा है.
अन्ना ने दिल्ली में चल रहे किसान प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा का जिक्र भी किया है. उन्होंने कहा कि, दिल्ली में 26 जनवरी को जो घटना हुई, उससे हम सब लोग दुखी हैं. मैं हमेशा अहिंसात्मक और शांतिपूर्ण आंदोलन चाहता हूं. पिछले 40 साल में मैंने कई आंदोलन किए हैं. 2011 में दिल्ली में जो लोकपाल आंदोलन हुआ, उसमें देश की जनता लाखों की संख्या में शामिल हुई. लेकिन किसी ने एक पत्थर तक नहीं उठाया.
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