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सरकार के पास लॉकडाउन से निकलने की कोई रणनीति नहीं: सोनिया गांधी

सोनिया गांधी के नेतृत्व में 22 मई को विपक्ष की बैठक हुई, जिसमें देशभर के 22 पार्टियों के नेता शामिल हुए थे.

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सोनिया गांधी के नेतृत्व में विपक्षी पार्टियों की बैठक की गई
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सोनिया गांधी के नेतृत्व में विपक्षी पार्टियों की बैठक की गई
(फाइल फोटो:PTI)

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कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी के नेतृत्व में 22 मई को विपक्ष की बैठक हुई, जिसमें देशभर की 22 पार्टियों के नेता शामिल हुए थे. वीडियो क्रॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई इस बैठक में सोनिया गांधी ने बीजेपी सरकार पर जोरदार हमला बोला. उन्होंने कहा, सरकार के पास लॉकडाउन से बाहर निकलने की कोई रणनीति नहीं है. साथ ही पीएम मोदी के 20 लाख करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा को उन्होंने 'क्रूर मजाक' बताया. इस बैठक में ममता बनर्जी और उद्धव ठाकरे भी शामिल हुए थे. वहीं, एसपी, बीएसपी और आम आदमी पार्टी बैठक में शामिल नहीं हुए.

सोनिया गांधी ने विपक्ष की बैठक में एक के बाद एक बीजेपी सरकार पर आरोप लगाए. उन्होंने कोरोना वायरस महामारी से लेकर लॉकडाउन की रणनीति और मजदूरों के मुद्दों पर सरकार को विफल बताया.

‘सरकार खुद को लोकतांत्रिक होने का दिखावा करना भी छोड़ दिया है. सरकार के मन में मजदूरों और गरीबों के लिए किसी भी तरह की दया का भाव नहीं है. सरकार ने जो आर्थिक पैकेज की घोषणा की है वह सुधार के नाम पर केवल एक दिखावा है.
सोनिया गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष 

'2017-18 से ही शुरू हुई आर्थिक मंदी'

सोनिया गांधी ने कहा कहा कि, आर्थिक मंदी 2017-18 में शुरू हुई. भारत पहले नोटबंदी और जीएसटी के लागू होने से आर्थिक संकट का सामना कर रहा था. उसके बाद भी सरकार ने अपनी गुमराह नीतियों के साथ आगे बढ़ती रही. कई अर्थशास्रियों ने भविष्यवाणी की थी कि 2020-21 में जीडीपी 5 प्रतिशत तक होगी और उसके परिणाम विनाशकारी होंगे. उन्होंने कहा, सरकार ने अर्थव्यवस्था को गंभीर रूप से अपंग कर दिया गया है.

'सरकार के पास कोई समाधान नहीं'

विपक्ष की बैठक में आरोप लगाया गया कि, सरकार के पास कोई समाधान नहीं है. इस महामारी के दौरान लाखों प्रवासी मजदूर, बच्चे सड़कों पर पैदल चल रहे हैं. पैसे, भोजन और दवाओं के बिना सैकड़ों किलोमीटर चल कर घर पहुंचने के लिए उत्सुक हैं. लेकिन ये चिंताजनक है कि सरकार के पास गरीबों और कमजोरों के लिए कोई सहानुभूति या दया नहीं है.

प्रवासी मजदूरों की दुर्दशा के अलावा, जिन लोगों को क्रूरता के साथ नजरअंदाज किया गया है, उनमें 13 करोड़ परिवार शामिल हैं, इनमें किरायेदार किसान और भूमिहीन कृषि मजदूर, सेवानिवृत्त कर्मचारी, दुकानदार, स्वरोजगार, MSMEs, बड़े व्यवसायों सहित संगठित उद्योग शामिल हैं, जो हमारे देश के विकास को आगे बढ़ाते हैं.’
सोनिया गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष

'टीका बनने तक देश में मौजूद रहने वाला है कोरोना वायरस'

सोनिया गांधी ने कहा, ऐसा लगता है कि वायरस यहां तब तक रहने वाला है जब तक की टीका नहीं मिल जाता. देश में लॉकडाउन ने बहुत अधिक साकारत्मक परिणाम नहीं दिया. लॉकडाउन के मानदंड और इससे बाहर निकलने के मामले में सरकार में अनिश्चितता की स्थिति थी. और न ही इससे निकलने की कोई रणनीति है.

विपक्ष के सुझावों की अनदेखी करने का आरोप लगाते हुए, उन्होंने कहा कि कई समान विचारधारा वाले विपक्षी पार्टियों ने मांग की थी कि नकदी को गरीबों को हस्तांतरित किया जाना चाहिए, सभी परिवारों को मुफ्त अनाज वितरित किया जाना चाहिए और प्रवासी श्रमिकों को घर भेजने के लिए बसों और ट्रेनों की व्यवस्था की जानी चाहिए. मजदूरी सहायता, कर्मचारियों और नियोक्ताओं की सुरक्षा के लिए मजदूरी संरक्षण कोष स्थापित किया जाना चाहिए. लेकिन हमारी सभी बातों को नजरअंदाज कर दिया गया.

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