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पत्रकार सौम्या मर्डर: 5 आरोपी दोषी करार, मां बोली, 'अब सुरक्षित होंगी दिल्ली की सड़कें'

पत्रकार सौम्या विश्वनाथन 30 सितंबर 2008 को काम से घर लौट रही थीं जब उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई.

आकृति हांडा
भारत
Published:
<div class="paragraphs"><p>Soumya Vishwanathan murder case</p></div>
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Soumya Vishwanathan murder case

(फोटो- द क्विंट/नमिता चौहान)

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"यह राहत की बात है कि आरोपी सलाखों के पीछे होंगे."

द क्विंट से 74 वर्षीय माधवी विश्वनाथन ने यह बात बुधवार, 18 अक्टूबर को कही. आज ही दिल्ली की एक अदालत ने उनकी बेटी और पत्रकार सौम्या विश्वनाथन की 15 साल पुराने हत्या (Soumya Vishwanathan murder case) मामले में पांच लोगों को दोषी करार दिया है.

सौम्या तब समाचार चैनल इंडिया टुडे के साथ काम करती थीं. 30 सितंबर 2008 को तड़के वो अपने दक्षिणी दिल्ली स्थित घर लौट रही थीं, जब उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई.

15 साल से अधिक समय बाद, दिल्ली की साकेत अदालत ने पांच आरोपियों - रवि कपूर, अमित शुक्ला, बलजीत मलिक, अजय कुमार और अजय सेठी को महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम, 1999 (मकोका) की संबंधित धाराओं के तहत दोषी ठहराया है.

लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, चार आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 302 (हत्या) और 34 (सामान्य इरादा) के तहत भी आरोप लगाए गए हैं. पांचवें आरोपी को धारा 411 (बेईमानी से चोरी की संपत्ति प्राप्त करना) के तहत दोषी ठहराया गया है. आरोपियों को कितनी सजा मिलेगी, इसकी घोषणा अभी अदालत ने नहीं की है.

माधवी विश्वनाथन ने द क्विंट से कहा, ''मुझे उम्मीद है कि अदालत उन्हें उम्रकैद की सजा देगी.''

'कम से कम एक गैंग से तो सुरक्षित रहेंगी दिल्ली की सड़कें'

18 अक्टूबर को साकेत कोर्ट के एडिशनल सेशन जज, रवींद्र कुमार पांडे ने फैसला सुनाते हुए कहा कि अभियोजन पक्ष ने किसी भी उचित संदेह से परे अपना मामला साबित कर दिया है. पुलिस के मुताबिक हत्या के पीछे का मकसद लूटपाट था.

सौम्या 30 सितंबर 2008 को दक्षिण दिल्ली के नेल्सन मंडेला मार्ग पर अपनी कार में मृत पाई गई थी. जांच में पहली सफलता घटना के छह महीने बाद सामने आई, जब एक बीपीओ कर्मचारी जिगिशा घोष की हत्या की जांच हुई- इस हत्या के एक आरोपी ने सौम्य की हत्या करने का गुनाह कबूल कर लिया था.

आरोपी मार्च 2009 से हिरासत में हैं. लेकिन न्याय के लिए यह एक लंबी राह थी.
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कोर्ट के फैसले पर माधवी विश्वनाथन ने कहा, ''मैं यह नहीं कह सकती कि दिल्ली की सड़कें सुरक्षित होंगी. लेकिन कम से कम वे एक गैंग से सुरक्षित रहेंगे."

उन्होंने कहा कि यह फैसला अपराधियों के लिए "निवारक" साबित होगा और यह "सही संदेश" भेजता है.

2009 में, दिल्ली पुलिस ने रवि कुमार और अन्य के खिलाफ मकोका लगाया था और अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया था. मामला 15 साल तक खिंच गया क्योंकि अभियोजन पक्ष को सबूत पेश करने में 13 साल लग गए. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, अभियोजन पक्ष ने 23 अप्रैल 2010 को मामले में सबूत पेश करना शुरू किया और 17 मई 2023 को यह प्रक्रिया समाप्त हुई.

'पिछले 15 साल बेहद दुखद, जीवन अस्त-व्यस्त'

यह पूछे जाने पर कि मामले की कार्यवाही में देरी क्यों हुई, माधवी विश्वनाथन ने कहा, "जजों का बार-बार बदलना, सरकारी वकीलों का बदलना- इन सबने इसमें इजाफा किया होगा."

अक्टूबर 2014 में, मामले में सरकारी वकील राजीव मोहन ने प्राइवेट प्रैक्टिस करने के लिए नौकरी छोड़ दी. उस समय, सौम्या के माता-पिता दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से मिले थे और एक विशेष अभियोजक (स्पेशल प्रोसिक्यूटर) को नियुक्ति करने की मांग की थी.

पिछले 15 वर्षों में दिल्ली में लगभग हर अदालती कार्यवाही में भाग लेने वाली माधवी विश्वनाथन ने कहा कि यह उनके परिवार के लिए दर्दनाक रहा है लेकिन उनके पास कोई अन्य विकल्प नहीं था.

“यह बहुत दर्दनाक रहा है. हम भी बूढ़े हो रहे हैं और इन सबका हम पर बहुत बुरा असर पड़ा है. लेकिन क्या हो रहा था यह देखने के लिए हमें अदालत में रहना पड़ा. हम इसे टाल नहीं सकते थे.''
माधवी विश्वनाथन

माधवी के परिवार ने न्याय की उम्मीद कभी नहीं खोई. उन्होंने कहा, “हम कभी नहीं डरे. जब आपको किसी चीज में इंटरेस्ट होता है तब डर लगता है. हमें अब अपने जीवन में कोई दिलचस्पी नहीं है. हमारा जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. हमारे लिए न्याय के लिए लड़ने के अलावा और कुछ नहीं था. हमें यह करना ही था. अन्यथा, जब हम जाएंगे तो हम उसका सामना कैसे करेंगे.''

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