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राममंदिर निर्माण के लिए राजस्थान के भरतपुर जिले के बंशी पहाड़पुर की 39 खानों में से गुलाबी पत्थर भेजा जा सकेगा. राज्य और केन्द्र सरकार के संयुक्त प्रयासों के बाद इस इलाके में वैध तरीके से सैंड स्टोन खनन का रास्ता साफ हो गया है.
मंदिर निर्माण का फैसला आने से पहले भी इस इलाके से पत्थर तराश कर अयोध्या भेजे गए थे. बाद में वन्य अभ्यारण्य इलाके में खानों के आने के कारण पत्थरों के खनन पर रोक लग गई थी.
अब राजस्थान माइंस विभाग ने भरतपुर के बंशी पहाड़पुर क्षेत्र में 39 खनन प्लॉटों की ई नीलामी की प्रक्रिया शुरू कर दी है. 135,94 हैक्टेयर क्षेत्र के 30 खनन प्लाटों की ई नीलामी 10 नवंबर से आरंभ होकर 24 नवंबर तक चलेगी वहीं 94,70 हैक्टेयर क्षेत्र के 9 खनन प्लॉटों की नीलामी 25 नवंबर से आरंभ होकर 3 दिसंबर तक चलेगी.
नीलामी की यह प्रक्रिया भारत सरकार के ई नीलामी पोर्टल एमएसटीसी के माध्यम से की जा रही है.
संसद, लालकिला, बुलंद दरवाजा सहित अक्षरधाम और इस्कान के अधिकांश मंदिरों में बंशी पहाड़पुर का पत्थर लगा है. माना जाता है कि यह पत्थर एक हजार साल तक भी खराब नहीं होता है.
राजस्थान माइंस विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. सुबोध अग्रवाल ने बताया कि इसी साल मार्च में बंशी पहाड़पुर खनन क्षेत्र ब्लॉक एवबी सुखासिला और कोट क्षेत्र को बंध बारेठा वन्यजीव अभयारण्य क्षेत्र से बाहर करवाया गया.
भारत सरकार की स्वीकृति के साथ ही बंशी पहाड़पुर में खनन ब्लॉक तैयार कर इनके ऑक्शन की राह प्रशस्त हो गई. इससे क्षेत्र में वैध खनन हो सकेगा वहीं राम मंदिर के लिए सेंड स्टोन वैध तरीके से खनन के माध्यम से उपलब्ध हो सकेगा.
डॉ सुबोध अग्रवाल ने बताया कि बंशी पहाड़पुर क्षेत्र के 120 हैक्टेयर खनन क्षेत्र को राज्य सरकार के उपक्रम राजस्थान राज्य खान एवं खनिज लिमिटेड के लिए आरक्षित किया गया है. वहीं 230.64 है.क्टेयर क्षेत्र में 39 खनन प्लॉट विकसित कर ई नीलामी की जा रही है.
एक मोटे अनुमान के अनुसार बंशी पहाड़पुर में ई-ऑक्शन से खनन पट्टे जारी होने पर राज्य सरकार को करीब 200 से 300 करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त होने की संभावना है.
निदेशक खान एवं भूविज्ञान केबी पंडया ने बताया कि बंशी पहाड़पुर के 135.94 हैक्टेयर क्षेत्र के 30 खनन प्लाटों की ई नीलामी के लिए 22 अक्टूबर को, वहीं 94.70 हैक्टेयर क्षेत्र के 9 खनन प्लॉटों की ई-नीलामी की 27 अक्टूबर को ई नीलामी विज्ञप्ति जारी कर दी है.
विस्तृत जानकारी विभागीय वेबसाइट और भारत सरकार के ई पोर्टल पर भी देखी जा सकती है.
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