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प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (EAC-PM) ने भारत में असमानता की स्थिति पर रिपोर्ट जारी की. इस रिपोर्ट ने सुझाव दिया है कि सरकार को शहरी बेरोजगारों के लिए एक गारंटीकृत रोजगार कार्यक्रम शुरू करना चाहिए और आय में अंतर को कम करने के लिए एक सार्वभौमिक बुनियादी आय योजना शुरू करनी चाहिए.
बता दें, संस्थान की ओर से यह रिपोर्ट प्रतिस्पर्धा बनाने और भारत में असमानता की प्रवृत्ति और गहराई के समग्र विश्लेषण को प्रदर्शित करने के लिए जारी की जाती है. यह रिपोर्ट स्वास्थ्य, शिक्षा, पारिवारिक विशेषताओं और श्रम बाजार के क्षेत्रों की असमानताओं पर जानकारी इकट्ठा करती है.
एनडीटीवी के मुताबिक इस रिपोर्ट में कहा गया है कि देश के शीर्ष 1 प्रतिशत आबादी के पास अर्जित कुल आय का 6-7 प्रतिशत है. जबकि, लगभग 15 प्रतिशत कामकाजी आबादी ₹ 5,000 (लगभग $ 64) प्रति माह से कम कमाती है. वहीं, औसतन ₹ 25,000 प्रति माह कमाने वाले कुल वेतन वर्ग के शीर्ष 10 प्रतिशत में आते हैं, जो कुल आय का लगभग 30-35 प्रतिशत है.
राष्ट्रीय परिवार और स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) 2015-16 के आंकड़ों के अनुसार, ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बीच घरेलू संपत्ति में बहुत बड़ा अंतर है. विशेष रूप से, 50 प्रतिशत से अधिक परिवार धन संकेंद्रण (लगभग 54.9 प्रतिशत) के निचले अनुपात में आते हैं.
बता दें, बीते तीन वर्षों से 2019-20 तक देश की कुल आय में शीर्ष 1 प्रतिशत आबादी का हिस्सा 6.14 प्रतिशत से बढ़कर 6.82 प्रतिशत हो गया. हालांकि, इसने कहा कि हालांकि शीर्ष 10 प्रतिशत की आय हिस्सेदारी 2017-18 में 35.18 प्रतिशत से घटकर 2019-20 में 32.52 प्रतिशत हो गई, लेकिन इसके परिणामस्वरूप सबसे नीचे की आबादी के वेतन में वृद्धि नहीं हुई है.
वहीं, रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत की बेरोज़गारी दर 4.8% (2019-20) है और श्रमिक जनसंख्या अनुपात 46.8% है. वर्ष 2019-20 में विभिन्न रोजगार श्रेणियों में उच्चतम प्रतिशत (45.78%) स्व-नियोजित श्रमिकों का था, इसके बाद नियमित वेतनभोगी श्रमिकों (33.5%) और आकस्मिक श्रमिकों (20.71%) का स्थान है.
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