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रेड लाइट एरिया बंद रखने से COVID-19 मौतें 63% कम हो सकती हैं:स्टडी

वैज्ञानिकों का कहना है कि जब तक वैक्सीन न बन जाए, तब तक यह उपाय अपनाया जाना चाहिए

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वैज्ञानिकों का कहना है कि जब तक कोरोना वायरस की वैक्सीन न बन जाए, तब तक यह उपाय अपनाया जाना चाहिए
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वैज्ञानिकों का कहना है कि जब तक कोरोना वायरस की वैक्सीन न बन जाए, तब तक यह उपाय अपनाया जाना चाहिए
(फाइल फोटो: AP)

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भारत में अगर 17 मई को राष्ट्रव्यापी बंद खत्म भी हो जाता है तो यहां रेड-लाइट एरिया (ऐसे स्थान जहां वेश्यावृत्ति होती है) को बंद ही रखा जाना चाहिए. वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर ऐसा किया गया तो भारत में कोरोना वायरस के मामलों के चरम पर पहुंचने में 17 दिनों की देरी लाई जा सकती है. इसके अलावा इससे कोविड-19 के अनुमानित नए मामलों में 72 फीसदी की कमी लाई जा सकती है. येल स्कूल ऑफ मेडिसिन और हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के शिक्षाविदों एवं शोधकर्ताओं ने अपनी रिपोर्ट में यह दावा किया है.

'मॉडलिंग द इफैक्ट ऑफ कॉन्टिन्यूड क्लोजर ऑफ रेड-लाइट एरियाज ऑन कोविड-19 ट्रांसमिशन इन इंडिया' नाम के अध्ययन में पाया गया है कि अगर राष्ट्रव्यापी बंद के बाद तक रेड लाइट एरिया को बंद रखा जाता है तो भारतीयों को कोरोनावायरस होने का बहुत कम जोखिम है.

वैज्ञानिकों का कहना है कि जब तक कोरोना वायरस की वैक्सीन न बन जाए, तब तक यह उपाय अपनाया जाना चाहिए. सभी ‘रेड लाइट एरिया’ में गतिविधि बंद ही रहनी चाहिए, क्योंकि इससे नागरिकों को वायरस की चपेट में आने के जोखिम को काफी कम करने में मदद मिल सकती है.

अध्ययन में यह भी कहा गया है कि बंद समाप्त होने के बाद पहले 60 दिनों में अगर रेड-लाइट क्षेत्रों को बंद रखा जाता है, तो मृत्युदर में 63 फीसदी की कमी हो सकती है.

राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (नाको) के अनुसार, भारत में लगभग 6,37,500 यौनकर्मी हैं और पांच लाख से अधिक ग्राहक दैनिक आधार पर रेड-लाइट क्षेत्रों का दौरा करते हैं. अध्ययन से पता चलता है कि अगर रेड-लाइट क्षेत्रों का संचालन शुरू हो जाता है तो बीमारी बहुत जल्दी फैल जाएगी. इस मामले में संक्रमण फैलने की दर इसलिए अधिक हो सकती है, क्योंकि यौन क्रिया या संभोग के दौरान सामाजिक दूरी संभव नहीं है. संक्रमित ग्राहक लाखों अन्य नागरिकों को यह बीमारी फैला सकते हैं.

यह रिपोर्ट पूरे भारत में और उन पांच भारतीय शहरों में स्थित रेड-लाइट क्षेत्रों के प्रभाव पर प्रकाश डालती है, जो वर्तमान में रेड-जोन में हैं. देश में कुछ सबसे बड़े रेड-लाइट क्षेत्रों में बड़ी संख्या में सेक्स वर्कर हैं.

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रेड लाइट एरिया बंद रखने से इन शहरों में मामलों के पीक पर पहुंचने में इतनी देरी होगी:

  • मुंबई: 12 दिन
  • दिल्ली: 17 दिन
  • पुणे: 29 दिन
  • नागपुर: 30 दिन
  • कोलकाता: 36 दिन

60 दिनों तक बंद करने से मौतों में कितनी कमी?

  • भारत- 63 फीसदी
  • मुंबई- 28 फीसदी
  • दिल्ली- 38 फीसदी
  • पुणे- 43 फीसदी
  • नागपुर- 61 फीसदी
  • कोलकाता - 66 फीसदी

येल स्कूल ऑफ मेडिसिन के बायोस्टेटिस्टिक्स प्रोफेसर डॉ. जेफरी टाउनसेंड के मुताबिक, राष्ट्रव्यापी बंद खत्म होने के साथ ही पॉजिटिव मामले बढ़ने की आशंका भी बढ़ जाएगी. इसे ध्यान में रखते हुए सरकार को कदम उठाने होंगे.

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