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चौबीस साल पहले इसरो जासूसी कांड में गिरफ्तार किए गए वैज्ञानिक नंबी नारायणन को सुप्रीम कोर्ट ने 50 लाख मुआवजा देने का आदेश दिया है. कोर्ट ने कहा कि नारायण को बेवजह गिरफ्तार कर शारीरिक और मानसिक तौर पर प्रताड़ित किया गया. उन्हें 50 लाख रुपये मुआवजा दिया जाए. सुप्रीम कोर्ट ने नारायणन की गिरफ्तारी के लिए केरल पुलिस की भूमिका की जांच के आदेश दिए हैं.
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली बेंच ने केरल सरकार से कहा कि वह 76 साल के नंबी नारायणन को 50 लाख रुपये मुआवजा दे. बेंच ने कहा कि इसरो के वैज्ञानिक के साथ जो मानसिक क्रूरता की गई उसे देखते हुए केरल सरकार उन्हें आठ सप्ताह में मुआवजा की राशि दे दे.
नारायणन ने इस मामले में केरल हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. हाई कोर्ट ने कहा था कि पूर्व जीडीपी सिबी मैथ्यूज और दो रिटायर्ड एसपी के के जोशुआ और एस विजयन के खिलाफ कोई एक्शन लेने की जरूरत नहीं है. जबकि इन दोनों को सीबीआई ने नंबी नारायणन की गैरकानूनी गिरफ्तारी के लिए दोषी ठहराया था.
इस मामले राजनीतिक रंग भी ले लिया था. कांग्रेस नेताओं के एक समूह ने उस समय इसे लेकर लेकर मुख्यमंत्री के करुणाकरन को निशाना बनाया और आखिरकार उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था.
इस मामले में गैरकानूनी गिरफ्तारी के बाद 1998 में सुप्रीम कोर्ट नारायणन और अन्य लोगों को एक लाख रुपये का मुआवजा देने को कहा था. लेकिन नारायणन समेत अन्य लोग राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के पास पहुंचे और राज्य सरकार से यह कह कर ज्यादा मुआवजा मांगा कि उन्हें भारी मानसिक प्रताड़ना से गुजरना पड़ा.
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने उन्हें दस लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया. नारायणन और उनके साथियों ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. पिछली सुनवाई में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुआई में जस्टिस ए एम खानविलकर और जस्टिस डी वी चंद्रचूड़ की तीन जजों की बेंच ने कहा था कि वह नारायणन को 75 लाख रुपये मुआवजा और उनकी प्रतिष्ठा को फिर से बहाल करने के बारे में विचार कर रहे हैं. आखिर मे गुरुवार को आए फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने उत्पीड़न का शिकार हुए इसरो वैज्ञानिक नारायण को 50 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया.
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