अयोध्या मामलाः ASI को खुदाई में क्या मिला था?

फैसला पढ़ने के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने किया था ASI रिपोर्ट का जिक्र

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भारत
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अयोध्या विवादित जमीन मामले में सुप्रीम कोर्ट ने रामलला विराजमान के हक में सुनाया फैसला
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अयोध्या विवादित जमीन मामले में सुप्रीम कोर्ट ने रामलला विराजमान के हक में सुनाया फैसला
(फोटोः PTI)

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सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को सर्वसम्मति से अयोध्या में विवादित जमीन पर राम मंदिर के निर्माण का रास्ता साफ कर दिया है. साथ ही कोर्ट ने केन्द्र सरकार को ये भी निर्देश दिया है कि नयी मस्जिद के निर्माण के लिये सुन्नी वक्फ बोर्ड को प्रमुख स्थान पर पांच एकड़ का भूखंड आवंटित किया जाए.

सुप्रीम कोर्ट ने ASI सर्वे पर क्या कहा?

अपना फैसला पढ़ते हुए कोर्ट ने कहा कि बाबरी मस्जिद खाली जमीन पर नहीं बनी थी. कोर्ट ने माना कि वहां पहले मंदिर था.

फैसला सुनाने के दौरान संविधान पीठ ने कहा कि अयोध्या में विवादित स्थल के नीचे मिली संरचना इस्लामिक नहीं थी, हालांकि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने यह साफ नहीं किया कि मस्जिद निर्माण के लिये मंदिर गिराया गया था. कोर्ट ने कहा कि पुरातत्व सर्वेक्षण के साक्ष्यों को महज राय बताना इस संस्था के साथ अन्याय होगा.

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सुनवाई के दौरान ASI की रिपोर्ट के इन प्वॉइंट्स का हुआ था जिक्र

  • अयोध्या श्री राम जन्मभूमि मामले में रामलला के वकील सीएस वैधनाथन ने बहस के दौरान पुरातत्व विभाग की खुदाई में मिले सबूतों को कोर्ट के सामने पेश किया था.
  • वकील वैद्यनाथन ने कहा था कि पुरातत्व विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक, जमीन के नीचे से मंदिर के अवशेष मिले हैं.
  • उन्होंने कहा था कि 1114 ईसवी से 1155 ईसवी तक 12वीं शताब्दी में साकेत मंडला का राजा गोविंदा चंद्रा था. उस वक्त अयोध्या उसकी राजधानी थी. यहां विष्णु हरि का बहुत बड़ा मंदिर था. पुरातत्वविद्दों ने भी इसकी पुष्टि की है.
  • सी एस वैधनाथन ने कहा था कि बाबरी मस्जिद के नीचे जो स्ट्रक्चर था उसकी बनावट और उसमें मिली भगवान की तस्वीरों और मूर्तियां से साबित होता है कि वहां पहले से मंदिर था.
  • वैधनाथन ने कहा था मस्जिद गिरने के बाद एक पत्थर का स्लैब मिला था, जिनमें 12 या 13वीं शताब्दी में लिखे एक शिलालेख शामिल हैं. शिलालेख थोड़ा क्षतिग्रस्त है और अंतिम दो पंक्तियां भारी क्षतिग्रस्त हो गई हैं. शिलालेख का मूल पाठ संस्कृत में है. इसके ट्रांसलेशन पर किसी ने आपत्ति नहीं की है, सिर्फ इसकी जगह को लेकर आपत्ति है.
  • उनके मुताबिक, शिलालेखों पर साकेत मंडल में बने मंदिर का उल्लेख है और यह राम के जन्म का स्थान है. 12वीं शताब्दी में साकेत मंडला का राजा गोविंदा चंद्रा था, उस वक्त अयोध्या उसकी राजधानी थी. यहां विष्णु हरि का बहुत बड़ा मंदिर था.
  • उनके मुताबिक, पत्थर में लिखे संस्कृत अक्षरों का अनुवाद है शिखर श्रेणी कला विष्णु हरी मंदिर है जिसका उल्लेख ऐतिहासिक किताब में भी है. 115 सेमी लंबा और 55 सेमी चौड़ा शिलालेख तीन चार सप्ताह राम कथा कुंज में रखा रहा. यह ढांचा ढहने के बाद मिला. इस पर किसी पक्षकार की ओर से आपत्ति नहीं जताई गई.

ASI की रिपोर्ट में क्या था?

  • वकील वैद्यनाथन ने कहा, पुरातत्व विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक जमीन के नीचे से मंदिर के स्ट्रक्चर मिले हैं. इलाहाबाद हाई कोर्ट ने भी अपने फैसले में पुरातत्व विभाग की रिपोर्ट पर भरोसा किया है.
  • ASI ने आखिरी बार इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच के आदेश पर खुदाई शुरू की थी.
  • रिपोर्ट्स के मुताबिक, लगभग दो महीनों तक ASI की निगरानी में 131 मजदूरों ने इस जगह की खुदाई की.
  • ASI ने साल 2003 में हाईकोर्ट में 574 पेज की फाइनल रिपोर्ट सौंपी.
  • खुदाई में बहुत सारे तथ्य और बहुत सारी चीजें मिलीं, जिनका जिक्र मामले की सुनवाई के दौरान होता रहा.
  • दावा किया गया कि ASI की खुदाई में मिले अवशेष उत्तर भारत में पाए जाने वाले मंदिरों से जुड़े विशिष्ट आकार का संकेत देते हैं.
  • इनमें सजावटी ईंटें, दैवीय युगल, आमलक, द्वार चौखट, ईंटों का गोलाकार मंदिर, जल निकास का परनाला और एक विशाल इमारत से जुड़े 50 खंभे शामिल हैं.
  • दैवीय युगल की तुलना शिव-पार्वती और गोलाकर मंदिर की तुलना पुराने शिवमंदिर से की गई है. यह सातवीं से दसवीं शताब्दी के बीच का माना गया है.
  • खुदाई में नीचे 15 गुणा 15 मीटर का एक चबूतरा मिला था. इसमें एक गोलाकार गड्ढा है, जिससे लगता है कि वहां कोई महत्वपूर्ण वस्तु रखी थी. इसके केंद्र के ठीक ऊपर विवादित मस्जिद के बीच का गुंबद था.
  • खुदाई में मिले आमलक की व्याख्या करते हुए प्रसिद्ध पुरातत्वविद् केके मुहम्मद की मान्यता है कि उत्तर भारत के मंदिरों में शिखर के साथ आमलक लगाए जाने की परंपरा थी और इसके आधार पर दावा किया गया कि उस स्थल पर मंदिर था.
  • रिपोर्ट में कहा गया कि खुदाई में 13वीं शताब्दी ईसा पूर्व तक के अवशेष मिले हैं. इनमें इतिहास के कुषाण, शुंग काल से लेकर गुप्त और प्रारंभिक मध्य युग तक के अवशेष हैं.
  • गोलाकार मंदिर सातवीं से दसवीं शताब्दी के बीच का माना गया. प्रारंभिक मध्य युग 11-12वीं शताब्दी की 50 मीटर उत्तर-दक्षिण इमारत का ढांचा मिला.
  • इसके ऊपर एक और विशाल इमारत का ढांचा है, जिसकी फर्श तीन बार में बनी. यह रिहायशी इमारत न होकर सार्वजनिक उपयोग की इमारत थी.
  • रिपोर्ट के अनुसार, इसी के भग्नावशेष पर विवादित इमारत 16वीं शताब्दी में बनाई गई.

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Published: 09 Nov 2019,05:12 PM IST

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