Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019India Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019 अयोध्या जमीन विवाद में 29 अक्टूबर से सुनवाई का रास्ता साफ

अयोध्या जमीन विवाद में 29 अक्टूबर से सुनवाई का रास्ता साफ

अयोध्या विवाद से जुड़े एक केस में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आज

क्‍व‍िंट हिंदी
भारत
Updated:
अयोध्या विवाद से जुड़े एक केस में सुप्रीम कोर्ट गुरुवार को अपना फैसला सुना सकती है
i
अयोध्या विवाद से जुड़े एक केस में सुप्रीम कोर्ट गुरुवार को अपना फैसला सुना सकती है
(फोटोः द क्विंट)

advertisement

राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद के एक मामले में मस्जिद के अंदर नमाज पढ़ने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुना दिया है. जस्टिस अशोक भूषण और चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने इस मामले को संविधान पीठ में भेजने से इनकार कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि साल 1994 के एक फैसले पर पुनर्विचार की जरूरत नहीं है. दरअसल, कोर्ट ने 1994 के अपने फैसले में कहा था कि मस्जिद इस्लाम का अभिन्न हिस्सा नहीं है.

मस्जिद में नमाज पढ़ना इस्लाम धर्म का अभिन्न अंग नहीं

1994 के फैसले पर पुर्नविचार की मांग को सुप्रीम कोर्ट ने ठुकराया

संविधान पीठ के पास नहीं भेजा जाएगा मामला

राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद मामले पर 29 अक्टूबर से होगी सुनवाई

अयोध्या मामले पर अब तेजी से होगी सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट में नई बेंच करेगी सुनवाई

अयोध्या विवादः नमाज मामले पर सुनवाई आज

सुप्रीम कोर्ट राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद से जुड़े एक मामले पर गुरुवार को फैसला सुना सकता है. साल 1994 के एक फैसले पर अदालत की बड़ी पीठ से पुनर्विचार की मांग की गई है. दरअसल, कोर्ट ने उस फैसले में कहा था कि मस्जिद इस्लाम का अभिन्न हिस्सा नहीं है.

सीजेआई दीपक मिश्रा, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस अब्दुल नजीर की पीठ अपना फैसला सुनाएगी. बेंच ने 20 जुलाई को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.

1994 के फैसले पर पुर्नविचार की मांग

अयोध्या मामले के एक मूल वादी एम सिद्दीकी ने एम इस्माइल फारूकी के मामले में 1994 के फैसले पर ऐतराज जताया था, जिसमें गया था कि मस्जिद नमाज का अभिन्न हिस्सा नहीं है. सिद्दीकी की मौत हो चुकी है और उनका प्रतिनिधित्व उनके कानूनी वारिस कर रहे हैं. इस फैसले पर फिर से विचार करने की मांग की जा रही है.

संविधान पीठ के पास मामला भेजे जाने की मांग

मुस्लिम समूहों ने चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली पीठ के सामने मांग की है कि इस फैसले पर सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय बेंच फिर से विचार करे. क्योंकि इसका राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद मामले पर असर पड़ेगा.

मुस्लिम समूहों का तर्क

वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने सिद्दीकी के कानूनी प्रतिनिधि की ओर से पेश होते हुए कहा था कि मस्जिदें इस्लाम का अभिन्न हिस्सा नहीं है, यह टिप्पणी सुप्रीम कोर्ट ने बगैर किसी पड़ताल के या धार्मिक पुस्तकों पर विचार किए की थी.

लंबे समय से आखिरी फैसले का इंतजार

उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि कुछ मुस्लिम समूह के फैसले पर पुनर्विचार की मांग कर अयोध्या मंदिर-मस्जिद विवाद मामले को लटकाने की कोशिश कर रहे हैं. अतिरिक्त सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने यूपी सरकार की ओर से पेश होते हुए कहा था कि यह विवाद लंबे समय से आखिरी फैसले का इंतजार कर रहा है.

जजों ने फैसला पढ़ना शुरू किया

मस्जिद में नमाज पढ़ने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में तीन जजों की बेंच ने फैसला पढ़ना शुरू कर दिया है.

CJI और खुद का फैसला जस्टिस भूषण पढ़ेंगे

जस्टिस अशोक भूषण अपना और चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा का फैसला पढ़ेंगे, वहीं जस्टिस अब्दुल नजीर अपना फैसला खुद सुनाएंगे.

मस्जिद में नमाज का मसला ऊंची बेंच में नहीं-SC

जस्टिस अशोक भूषण और चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की बेंच ने कहा, मस्जिद में नमाज पढ़ने के मसले को ऊंची बेंच में भेजने की जरूरत नहीं.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा

उंची बेंच को नहीं भेजने के पक्ष में दो जज

केस बड़ी बेंच को सौंपने की जरूरत नहीं

हर फैसला अलग हालात में होता है

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

मस्जिद में नमाज का मुद्दा संवैधानिक पीठ को नहीं

कोर्ट ने कहा, पिछले फैसले के संदर्भ को समझना होगा

जस्टिस भूषण ने कहा 1994 के फैसले पर पुनर्विचार की जरूरत नहीं

जस्टिस नजीर की राय अलग

“मैं अपने साथी जजों की राय से सहमत नहीं”
जस्टिस एस अब्दुल नजीर

तीन जजों की बेंच में बहुमत से फैसला

तीन जजों की पीठ में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस अशोक भूषण ने इस मामले को बड़ी बेंच में भेजने से मना कर दिया. वहीं जस्टिस नजीर इस मामले को बड़ी बेंच में भेजना चाहते थे.

मुख्य मामले पर इसका असर नहीं पड़ेगा

राम जन्मभूमि- बाबरी मस्जिद के मुख्य मामले पर इस फैसले का कोई असर नहीं पड़ेगा.

रामजन्मभूमि जमीन विवाद पर

इस फैसले का असर होगा कि राम जन्मभूमि विवाद पर अब सुनवाई शुरू हो जाएगी. जो पिछले सात साल से रूकी हुई है.

राम जन्मभूमि- बाबरी मस्जिद मामले की सुनवाई 29 अक्टूबर से

जस्टिस नजीर ने कहा

जस्टिस नजीर ने कहा, “इस मामले को बड़ी बेंच में भेजा जाना चाहिए था, क्योंकि इसका इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर हुआ था.”

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 27 Sep 2018,01:45 PM IST

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT