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सुप्रीम कोर्ट ने 8 जुलाई को कहा कि दिग्गज सोशल मीडिया कंपनी फेसबुक के पास 'सिर्फ एक हाथ की ताकत नहीं है, बल्कि ये एक मुट्ठी है'. कोर्ट का कहना है कि इस सोशल प्लेटफॉर्म में सार्वजनिक बहस को ध्रुवीकृत करने की क्षमता है और ये इसी बिजनेस मॉडल का इस्तेमाल करते हैं.
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा- "फेसबुक में न केवल एक हाथ की शक्ति है, बल्कि ये एक मुट्ठी है, जैसा कि हो सकता है."
कोर्ट ने कहा कि ये मंच स्वयं शक्ति केंद्र बन गए हैं, जिसमें आम जनता की राय के विशाल वर्ग को प्रभावित करने की क्षमता है. पीठ ने कहा कि दुनिया भर के घटनाक्रम सीमाओं के पार बढ़ती चिंताओं को दर्शाते हैं. 188 पन्नों के अपने फैसले में इसने कहा, "चिंता यह है कि क्या उदारवादी बहस, जिसे ये मंच प्रोत्साहित करने का दावा कर रहे हैं, खुद ही हताहत हो गई है."
पीठ ने कहा कि बिचौलियों के लिए यह कहना कि वे इस आलोचना को दरकिनार कर सकते हैं, एक भ्रम है, क्योंकि वे इन बहसों के केंद्र में हैं.
पीठ ने जोर देते हुए कहा कि इस आधुनिक तकनीकी युग में, फेसबुक जैसे मध्यस्थ के लिए यह तर्क देना बहुत सरल होगा कि वे स्वयं कोई महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के बिना विचारों के आदान-प्रदान के लिए एक मंच है, विशेष रूप से उनके कामकाज के तरीके और व्यवसाय मॉडल को देखते हुए यही कहा जा सकता है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकारों ने इन बिचौलियों द्वारा अधिक जवाबदेही की आवश्यकता पर चिंता व्यक्त की है जो सीमाओं के पार और लाखों से अधिक लोगों के प्रभाव वाले बड़े व्यापारिक निगम बन गए हैं.
कोर्ट ने कहा- एल्गोरिदम, जो निर्देशों के का रूप हैं, कंटेंट को पर्सनलाइज्ड करने और व्यावसायिक मॉडल के हिस्से के रूप में राय को प्रभावित करने के लिए मानवीय हस्तक्षेप हैं.
फेसबुक का आज इस ग्रह की एक तिहाई आबादी पर प्रभाव है. भारत में, फेसबुक 27 करोड़ पंजीकृत उपयोगकर्ताओं के साथ सबसे लोकप्रिय सोशल मीडिया होने का दावा करता है.
(IANS के इनपुट के साथ)
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