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कृषि कानूनों को लेकर किसानों के प्रदर्शन का कोई हल नहीं निकलने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इसके लिए चार सदस्यीय कमेटी का गठन किया है. इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने अगले आदेश तक तीनों कृषि कानूनों को लागू करने पर रोक लगा दी है. हालांकि किसानों ने इस कमेटी में शामिल होने से इनकार कर दिया. अब सुप्रीम कोर्ट की तरफ से नियुक्त कमेटी के एक सदस्य अनिल घनवट ने किसान आंदोलन को लेकर बयान दिया है. जिसमें उन्होंने कहा है कि कानूनों को रद्द करने की बजाए उनमें संशोधन होने चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट ने जिन चार लोगों को कमेटी में शामिल किया है उनमें, खेती-किसानी से जुड़े एक्सपर्ट - कृषि वैज्ञानिक अशोक गुलाटी, डॉ. प्रमोद कुमार जोशी, अनिल धनवट और भूपिंदर सिंह मान जैसे नाम शामिल हैं. इन्हीं में से एक सदस्य अनिल धनवट ने न्यूज एजेंसी एएनआई को दिए एक बयान में कहा,
यानी कमेटी के सदस्य घनवट ने साफ कर दिया है कि वो कृषि कानूनों को रद्द करने के पक्ष में नहीं हैं. उन्होंने भी वही बात कही है जो सरकार पिछले कई महीनों से कहती आ रही है. घनवट ने कहा कि,
सुप्रीम कोर्ट की कमेटी के सदस्य ने कहा कि, "जब तक सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस हमारे पास नहीं आ जाती हैं तब तक हम काम शुरू नहीं कर सकते हैं. गाइडलाइंस आने के बाद हम सब किसान नेताओं से मिलकर उनकी राय जानेंगे कि उनको क्या चाहिए और वो कैसे किया जा सकता है."
अनिल घनवट शेतकारी संगठन के अध्यक्ष हैं. ये संगठन केंद्र सरकार के कृषि कानूनों को समर्थन दे रहा है. संगठन ने कानूनों का स्वागत किया था और इन्हें 'किसानों की वित्तीय आजादी' की तरफ पहला कदम बताया था. घनवट ने कहा था, "नए कानून एग्रीकल्चरल प्रोड्यूस मार्केटिंग कमेटियों (APMC) की शक्तियों को सीमित करते हैं और ये स्वागत योग्य कदम है."
सुप्रीम कोर्ट की इस चार सदस्यीय कमेटी पर किसान नेताओं ने सवाल खड़े किए हैं और इन्हें कानूनों का समर्थक बताया है. किसान नेता डॉक्टर दर्शनपाल ने कहा कि ये तमाम लोग पिछले कई दिनों से कृषि कानूनों के समर्थन में आर्टिकल लिखते आए हैं. साथ ही किसान नेताओं ने कहा कि कमेटी में शामिल सदस्य पिछले कई महीनों से खुलकर इन कानूनों के पक्ष में माहौल बनाने की असफल कोशिश करते रहे हैं. ये अफसोस की बात है कि देश के सुप्रीम कोर्ट में अपनी मदद के लिए बनाई इस कमेटी में एक भी निष्पक्ष व्यक्ति को नहीं रखा है. किसानों के अलावा कांग्रेस ने भी कमेटी के सदस्यों को लेकर सवाल उठाए हैं.
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