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कृषि कानूनों को लेकर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला आया, जिसमें अगले आदेश तक इनके लागू होने पर रोक लगा दी गई. साथ ही कमेटी बनाने की भी बात कही गई. अब इस फैसले को लेकर किसानों की तरफ से प्रेस कॉन्फ्रेंस कर फिर साफ किया गया है कि वो किसी भी कमेटी को स्वीकार नहीं करते हैं. इसके अलावा संयुक्त किसान मोर्चा की तरफ से कमेटी में शामिल सदस्यों को लेकर भी आपत्ति जताई गई और कहा कि ये तमाम लोग रोजाना कानूनों के समर्थन में लेख लिखते हैं.
किसान नेता डॉक्टर दर्शनपाल ने कहा कि, जब सुप्रीम कोर्ट में ऐसी चर्चा हो रही थी कि कमेटी बनने जा रही है, हमें ये पूरा विश्वास था कि सुप्रीम कोर्ट के जरिए सरकार अपने कंधे से बोझ हटाकर कमेटी बनाने जा रही है, जिसका हमने पूरा विरोध किया. जो कमेटी बनाई है उसमें सभी सदस्यों के आर्टिकल आप पढ़ सकते हैं.
किसान नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर कहा कि, ये करतूत और शरारत सरकार की है कि वो सुप्रीम कोर्ट के जरिए कमेटी ले आई है. जिसका हमने कल ही विरोध कर दिया था कि हम ऐसी किसी कमेटी के सामने पेश नहीं होंगे और हमारा आंदोलन पहले की तरह चलता रहेगा. जो कमेटी बनाई गई है, उसमें जो सभी सदस्य हैं वो सरकार के कानूनों को अब तक सही ठहराते रहे हैं. ऐसे लोगों से कभी भी उम्मीद नहीं की जा सकती है कि किसान आंदोलन को लेकर उनकी राय ठीक होगी. ऐसी कमेटी को तो कोई बिल्कुल नहीं मान सकता है.
किसान नेता रमिंदर पटियाला ने कहा कि 26 जनवरी के प्रदर्शन को लेकर कई तरह की बातें हो रही हैं. कहा जा रहा है कि किसान लाल किले पर झंडा फहराना चाहते हैं, इस तरह की कोई बात नहीं है. हमारा 26 जनवरी का प्रोग्राम ऐतिहासिक जरूर होगा, लेकिन ये आंदोलन 26 को खत्म नहीं होने जा रहा है. इसके बाद भी प्रदर्शन जारी रहेगा.
नेताओं ने कहा कि, हमारी लड़ाई सरकार से है. सरकार की नीति और नीयत जो कानून बनाते हुए रही है, वो कमेटी बनाते हुए भी है. ये काम किया जा रहा है कि कानून किसी भी हाल में रद्द न हों.
किसानों ने कहा कि कानूनों को सुप्रीम कोर्ट ने नहीं बल्कि सरकार ने बनाया है. इसीलिए सरकार को ही कानून रद्द करने हैं. हमारी लड़ाई सरकार के साथ है, इसीलिए हमें कोई कमेटी नहीं चाहिए. कानून रद्द करने से नीचे कुछ नहीं होगा.
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