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सुप्रीम कोर्ट ने 'जबरन या गलत तरीके से धर्मांतरण' के खिलाफ कानूनों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड को नोटिस जारी किए हैं. एनडीटीवी के मुताबिक, शीर्ष अदालत इन कानूनों की समीक्षा करेगी.
इस कानून में शादी के लिए छल, कपट, प्रलोभन देने या बलपूर्वक धर्मांतरण कराए जाने पर अधिकतम 10 साल के कारावास और जुर्माने का प्रावधान किया गया है. उत्तराखंड में धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम 2018 में भी शादी के लिए जबरन धर्मांतरण के खिलाफ प्रावधान हैं.
सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाओं में यह दलील देते हुए कि ये कानून संविधान के बुनियादी ढांचे को डिस्टर्ब करते हैं, इन कानूनों की वैधता को चुनौती दी गई है.
एक याचिका में निजता, पुलिस को अत्यधिक संवैधानिक शक्तियां देने के मुद्दे भी उठाए गए हैं.
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