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सुप्रीम कोर्ट के दूसरे जज ने भी छोड़ा पश्चिम बंगाल से जुड़ा केस

जस्टिस अनिरुद्ध बोस ने नारदा स्टिंग केस की सुनवाई से अपना नाम वापस ले लिया 

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भारत
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Narada Case| जस्टिस अनिरुद्ध बोस ने नारदा स्टिंग केस की सुनवाई से अपना नाम वापस ले लिया 
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Narada Case| जस्टिस अनिरुद्ध बोस ने नारदा स्टिंग केस की सुनवाई से अपना नाम वापस ले लिया 
(फोटो: PTI)

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पश्चिम बंगाल से जुड़े एक और मामले की सुनवाई से लगातार दूसरे सुप्रीम कोर्ट जज ने हटने का ऐलान किया है. कोलकाता से आने वाले जस्टिस अनिरुद्ध बोस ने नारदा स्टिंग केस की सुनवाई से अपना नाम वापस ले लिया. उन्होंने कहा कि, मैं इस केस की सुनवाई नहीं करना चाहता हूं. बता दें कि नारदा स्टिंग (Narada Case) मामले को लेकर खुद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और राज्य के कानून मंत्री ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है.

सीएम ममता बनर्जी ने दायर की है याचिका

दरअसल पश्चिम बंगाल चुनाव नतीजों के बाद कुछ टीएमसी नेताओं के खिलाफ कार्रवाई हुई थी. नारदा स्टिंग मामले में चार टीएमसी नेताओं को सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया था. जिसके बाद ममता बनर्जी ने भी इसका जमकर विरोध किया. सीएम ममता और कानून मंत्री ने सीबीआई से इस मामले में अपना पक्ष दाखिल करने की अपील की थी, जिसे कलकत्ता हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था. इसके बाद दोनों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया.

इस मामले को सुप्रीम कोर्ट की बेंच के सामने रखा गया था, अब इस याचिका पर जस्टिस विनीत सरन की बेंच सुनवाई करेगी. उन्होंने इसे लेकर कहा कि, ये नया केस है, जो अब हमारे पास आया है. फिलहाल हमने इसकी फाइल पूरी नहीं पढ़ी है. तो इस मामले को हम शुक्रवार को सुनेंगे.
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जस्टिस इंदिरा बनर्जी ने भी लिया था नाम वापस

इससे पहले भी पश्चिम बंगाल से जुड़े एक मामले में ऐसा ही देखा गया. जब सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस इंदिरा बनर्जी ने पश्चिम बंगाल में हुई हिंसा के दौरान बीजेपी कार्यकर्ताओं की हत्या को लेकर सीबीआई जांच वाली याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था. उन्होंने इसे लेकर कहा था कि, इस मामले को सुनने में मुझे कुछ मुश्किलें हो रही हैं. इसके बाद इस मामले को दूसरी बेंच के लिए रेफर कर दिया गया था.

सीबीआई की तरफ से आरोप लगाया गया है कि इस मामले में टीएमसी नेताओं की गिरफ्तारी के बाद पार्टी के कुछ नेताओं ने कार्रवाई में दखल देने की कोशिश की. जिस पर पश्चिम बंगाल की सीएम ने हलफनामा दाखिल करने की अपील की थी, लेकिन हाईकोर्ट से उसे खारिज कर दिया गया. इस पूरे मामले को अब सुप्रीम कोर्ट के सामने रखा गया है.

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