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सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को निर्देश दिया है कि कोरोना लॉकडाउन के दौरान जो नियोक्ता अपने कर्मचारियों को पूरा वेतन नहीं दे पाए, उनके खिलाफ जुलाई के आखिर तक कोई दंडात्मक कार्रवाई न की जाए. इससे पहले कोर्ट ने इस तरह की दंडात्मक कार्रवाई पर लगी अंतरिम रोक की अवधि 12 जून तक बढ़ाई थी. सुप्रीम कोर्ट इस मामले की अगली सुनवाई जुलाई के आखिरी हफ्ते में करेगा.
सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की पिछली सुनवाई के दौरान जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एमआर शाह की बेंच ने कहा था कि श्रमिकों को बगैर किसी भुगतान के उनके हाल पर छोड़ना चिंता की बात है लेकिन ऐसी भी स्थिति हो सकती है जिसमें औद्योगिक इकाई के पास पारिश्रमिक देने के लिए धन ही नहीं हो.
वहीं, गृह मंत्रालय ने कोर्ट में दाखिल हलफनामे में बताया कि 29 मार्च का निर्देश लॉकडाउन के दौरान कर्मचारियों और श्रमिकों, विशेषकर संविदा और दिहाड़ी कामगारों, की वित्तीय परेशानियों को कम करने के इरादे से एक अस्थाई उपाय था, इस निर्देश को 18 मई से वापस ले लिया गया.
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